जैन साहित्य और संस्कृति की समृद्ध परम्परा : इसका इतिहास संजोने की आवश्यकता प्रो. फूलचन्द जैन प्रेमी, पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, जैनदर्शन विभाग, सम्पूर्णानन्द संस्कृतविश्वविद्यालय,वाराणसी। भारतीय इतिहास का अध्ययन जब शैशव अवस्था में था, तब कुछ तथाकथित इतिहासकारों की यह भ्रान्त धारणा थी कि जैनधर्म कोई बहुत प्राचीन धर्म नहीं है अथवा यह हिन्दू या बौद्ध धर्म की एक शाखा मात्र है। किन्तु जैसे-जैसे प्राचीन साहित्य, कला, भाषावैज्ञानिक अध्ययन तथा पुरातत्व आदि से सम्बन्धित नये-नये विपुल तथ्य सामने आते गये तथा इनके तुलनात्मक अध्ययन-अनुसन्धान का कार्य आगे बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे जैनधर्म-दर्शन, साहित्य एवं संस्कृति की प्राचीनता तथा उसकी गौरवपूर्ण परम्परा को सभी स्वीकार करते जा रहे हैं । अब तो कुछ इतिहासकार विविध प्रमाणों के आधार पर यह भी स्वीकृत करने लगे हैं कि आर्यों के कथित आगमन के पूर्व भारत में जो संस्कृति थी वह श्रमण य...
*आज भारत में जो रेलवे है, उसको भारत में कौन लाया.?* *आपका उत्तर होगा ब्रिटिश.!* *जी नहीं..ब्रिटिश सिर्फ विक्रेता थे। वास्तव में भारत में रेलवे लाने का स्वपन एक भारतीय जैन का था.!* ¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤ *भारतीय गौरव को छिपाने के लिए हमारे देश की पूर्व सरकारों के समय इतिहास से बड़ी एवं गम्भीर छेड़छाड़ की गई।* *भारत में रेलवे आरम्भ करने का श्रेय हर कोई अंग्रेजों को देता है, लेकिन श्रीनाना जगन्नाथ शंकर सेठ मुर्कुटे जैन के योगदान और मेहनत के बारे में कदाचित कम ही लोग जानते हैं।* *15 सितंबर 1830 को दुनिया की पहली इंटरसिटी ट्रेन इंग्लैंड में लिवरपूल और मैनचेस्टर के बीच चली।* *यह समाचार हर जगह फैल गया। बम्बई में एक व्यक्ती ने सोचा कि उनके शहर में भी ट्रेन चलनी चाहिए।* *अमेरिका में अभी रेल चल रही थी और भारत जैसे गरीब और ब्रिटिश शासित देश में रहने वाला यह व्यक्ति रेलवे का स्वप्न देख रहा था। कोई और होता तो जनता उसे ठोकर मारकर बाहर कर देती।* *लेकिन यह व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं था। यह थे बंबई के साहूकार श्रीनाना शंकरशेठ जैन। जिन्होंने स्वयं ईस्ट इंडिया कंपनी को ऋण दिया था। है न...आश्च...