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आचार्य समन्तभद्र

भारतभूषण आचार्य समन्तभद्र स्वामी का अपराजित              व्यक्तित्व एवं अनुपम कृतित्व–                  प्रोफेसर फूलचंद जैन प्रेमी, वाराणसी               संपूर्ण भारतीय मनीषा के विकास में तीसरी शताब्दी के महान् मनीषी जैनन्याय के प्रतिष्ठापक आचार्य समन्तभद्र स्वामी का बहुमूल्य योगदान है। आचार्य शुभचंद्र  तो आपकी कृतियों और आपके अजेय व्यक्त्तित्व से इतने प्रभावित हुए कि आपको‘समंतभद्रो भद्रार्थो भातु भारतभूषण:’ कहकर ‘भारतभूषण’ जैसी  गौरवपूर्ण उपाधि तक से विभूषित किये बिना नहीं रह सके।    आपका विस्तृत जीवन परिचय नहीं मिलता। क्योंकि इन्होंने अपनी कृतियों में कहीं कहीं प्रकारान्तर से स्वयं अपने विषय में थोड़े -बहुत ही संकेत दिए हैं। फिर भी परवर्ती साहित्यिक और शिलालेखीय उल्लेखों के आधार पर श्रेष्ठ विद्वानों ने आपके जीवन के विषय में काफी अनुसंधान किया है, तदनुसार आप दक्षिण भारत के चोलराजवंशीय क्षत्रिय महाराजा उरगपुर के सुपुत्र थे। इनके बचपन का नाम शांतिवर्...
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प्रमुख जैन ग्रंथ और उनके आचार्य

📖 *प्रमुख जैन ग्रंथ और उनके रचयिता* 📖 1. षट्खंडागम - आचार्य पुष्पदंत, आचार्य भूतबलि 2. समयसार - आचार्य कुंदकुंद 3. नियमसार - आचार्य कुंदकुंद 4. प्रवचनसार - आचार्य कुंदकुंद 5. अष्टपाहुड़ - आचार्य कुंदकुंद 6. पंचास्तिकाय - आचार्य कुंदकुंद 7. रयणसार - आचार्य कुंदकुंद 8. दश भक्ति - आचार्य कुंदकुंद 9. वारसाणुवेक्खा - आचार्य कुंदकुंद 10. तत्त्वार्थसूत्र - आचार्य उमास्वामी 11. आप्तमीमांसा - आचार्य समन्तभद्र 12. स्वयंभू स्तोत्र - आचार्य समन्तभद्र 13. रत्नकरण्ड श्रावकाचार - आचार्य समन्तभद्र 14. स्तुति विद्या - आचार्य समन्तभद्र 15. युक्त्यनुशासन - आचार्य समन्तभद्र 16. तत्त्वसार - आचार्य देवसेन 17. आराधना सार - आचार्य देवसेन 18. आलाप पद्धति - आचार्य  देवसेन 19. दर्शनसार - आचार्य  देवसेन 20. भावसंग्रह - आचार्य  देवसेन 21. लघु नयचक्र - आचार्य  देवसेन 22. इष्टोपदेश - आचार्य पूज्यपाद (देवनन्दी) 23. समाधितंत्र - आचार्य पूज्यपाद (देवनन्दी) 24. सर्वार्थसिद्धि - आचार्य पूज्यपाद (देवनन्दी) 25. वैद्यक शास्त्र - आचार्य पूज्यपाद (देवनन्दी) 26. सिद्धिप्रिय स्तोत्र - आचार्य पूज्यपाद (देवनन्...

पुरानी दिल्ली के जैन मंदिर

🔔 राजधानी दिल्ली की पुरानी गलियाँ न केवल इतिहास की कहानियाँ कहती हैं, बल्कि आस्था और चमत्कारों से भरे हुए मंदिरों को भी समेटे हुए हैं। पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों में विशालतम मंदिरों की इस यात्रा में आपको जैनधर्म की समृद्ध परंपरा, अद्भुत वास्तुकला और चमत्कारों के दर्शन होंगे। तो चलिए, इस आध्यात्मिक जिनदर्शन यात्रा पर चलते हैं - और यदि आपने इन तीर्थ - मंदिरों के दर्शन किये हैं तो अपनी निजी अनुभूति अवश्य बतायें -  स्थान: पुरानी दिल्ली, पिनकोड 110006 संभावित यात्रा की अवधि: 1 से 1.5 घंटे अनुमानित दूरी: केवल 1 किलोमीटर चलो पुरानी दिल्ली की गलियों में प्राचीन जैन धरोहरों की अद्भुत यात्रा पर निकलें! 1. श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर (दिल्ली की शान, लाल किले के सामने) जैसे ही आप चाँदनी चौक में कदम रखते हैं, आपकी नजर लाल किले के सामने खड़े भव्य श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर पर जाती है। •यहाँ विराजमान हैं चमत्कारी श्री 1008 पार्श्वनाथ भगवान और माँ पद्मावती। •विश्व प्रसिद्ध पक्षी अस्पताल, जहाँ घायल पक्षियों का निशुल्क इलाज होता है। •ध्यान केंद्र और चमत्कारों की अद्भुत कहानियाँ। यहाँ आते ही आपको ...

प्राकृत जैन आगम एक झलक

देश के विकास में जैनों का योगदान

१)स्वतंत्रता की लड़ाई में सबसे पहले फाँसी पर चड़ने वाले  लाला हुकम चंद जैन  २)राम मंदिर की लड़ाई में सबसे पहले सीने पर गोली खाने वाले कोठारी जैन बंधु (दो भाई) ३)राम मंदिर की अदालती लड़ाई लड़कर जीत दिलाने  वाले वकील श्री हरिशंकर जैन एवं विष्णु शंकर जैन (पिता -पुत्र) ४)स्वतंत्र भारत में राम जी पर फेमस भजन बनाने वाले एवं गाने वाले गायक द लीजेंड स्व॰ श्री रविंद्र जैन  ५)भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ विक्रम ए साराभाई जैन  ६)भारत में पहली कार फ़ैक्ट्री खोलने वाले जिन्हें “फादर ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन इन इंडिया ” कहा जाता है  *श्री वालचंद हीराचंद जैन* ७)भारत में पहली विमान फ़ैक्ट्री  खोलने वाले महान व्यापारी  श्री वालचंद हीरा चंद जैन  ८)भारत में पहला मॉर्डन शिपयार्ड बनाने वाले महान देशभक्त व्यापारी श्री वालचंद हीराचंद जैन  (पहले भारतीय जहाज एसएस लॉयल्टी ने 5 अप्रैल 1919 को मुंबई से लंदन तक अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा की। वालचंद हीराचंद व्यक्तिगत रूप से जहाज पर मौजूद थे। भारत के स्वतंत्र होने के बाद, उस यात्रा के सम्मान में 5 अप्रैल को राष्ट...

कहौम का जैन-स्तम्भ (अभिलिखित), गुप्त काल....

कहौम का जैन-स्तम्भ (अभिलिखित), गुप्त काल.... उत्तरप्रदेश में देवरिया जिले में सलेमपुर रेलवे स्टेशन से 5 किमी की दूरी पर एक छोटा सा गांव कहौम (ककुभग्राम, कहाउँ, कहावम, कहाव) स्थिति है। बलुए प्रस्तर में निर्मित 27 फिट ऊँचा एक स्वतंत्र स्तम्भ स्थापित है। यह स्तम्भ नीचे से चौपहल, मध्य में अष्टपहल और ऊपर सोलह पहल वाला है। इस स्तम्भ पर ब्राह्मी लिपि में 12 पंक्तियों वाला गुप्त शासक स्कन्दगुप्त के काल का तिथियुक्त लेख है। स्तम्भ के शीर्ष भाग में कुषाण कालीन जिन चौमुखी की परम्परा में तीर्थंकरों (निर्वस्त्र, अर्थात दिगम्बर परम्परा से सम्बंधित) की चार कायोत्सर्ग आकृतियां निरूपित हैं। स्तम्भ के निचले भाग में 23वे तीर्थंकर पार्श्वनाथ की सात सर्पफणो से युक्त कायोत्सर्ग मूर्ति भी द्रष्टव्य है। इस स्तम्भ का जैन धर्म से सम्बन्ध और गुप्त काल मे कहौम में जैन धर्म का प्रभाव तथा गुप्त शासक स्कन्दगुप्त के शान्ति वर्ष (गुप्त सम्वत 141 यानि 460 ई) में मद्र नाम के व्यक्ति के द्वारा इस स्तम्भ का निर्माण तत्कालीन सांस्कृतिक एवं धार्मिक परिस्थितियों को उजागर करता है। प्रो शांत...

दिलवाड़ा के जैन मंदिर: पाषाण शिल्प और आध्यात्म का अप्रतिम केन्द्र

  दिलवाड़ा के जैन मंदिर: पाषाण शिल्प और आध्यात्म का अप्रतिम केन्द्र शिल्प-सौंदर्य का बेजोड़ खजाना समुद्र तल से लगभग साढ़े पांच हजार फुट ऊंचाई पर स्थित राजस्थान की मरूधरा के एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू पर जाने वाले पर्यटकों, विशेषकर स्थापत्य शिल्पकला में रुचि रखने वाले सैलानियों के लिए इस पर्वतीय पर्यटन स्थल पर सर्वाधिक आकर्षण का केंद्र वहां मौजूद देलवाड़ा के प्राचीन जैन मंदिर है।1 1वीं से 13वीं सदी के बीच बने संगमरमर के ये नक्काशीदार जैन मंदिर स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने है। पांच मंदिरों के इस समूह में विमल वासाही टेंपल सबसे पुराना है। इन मंदिरों की अद्भुत कारीगरी देखने योग्य है। अपने ऐतिहासिक महत्व और संगमरमर पत्थर पर बारीक नक्काशी की जादूगरी के लिए पहचाने जाने वाले राज्य के सिरोही जिले के इन विश्वविख्यात मंदिरों में शिल्प-सौंदर्य का ऐसा बेजोड़ खजाना है, जिसे दुनिया में अन्यत्र और कहीं नहीं देखा जा सकता। दिल्ली-अहमदाबाद बड़ी लाइन पर आबू रेलवे स्टेशन से लगभग 20 मील दूर स्थित देलवाड़ा के इन मंदिरों की भव्यता और उनके वास्तुकारों के भवन-निर्माण में निपुणता, उनकी सूक्ष्म पैठ और छे...