दिल्ली के चाँदनी चौक स्थित धर्मपुरा नया मंदिर , जो की आज से २२३ वर्ष प्राचीन है, जिसे सेठ हरसुख राय ने बनवाया था, वही पर १२००० प्राचीन ग्रंथों के साथ स्थित है ये स्वर्णमय अंकित ५२ काव्य का भक्तामर महा स्तोत्र ! जहाँ ये कहा जाता है कि अभी जो प्रचलित भक्तामर स्तोत्र है जिसमे ४८ काव्य है, जो की मूल भक्तामर स्तोत्र के ५२ काव्य में से ४८, ४९, ५०, ५१ काव्य को अलग करके किया है, क्युकी इन ४ काव्य में अति दिव्य शक्तियां है, देवों का साक्षात आह्रन है, जिसका कई लोग असामान्य उपयोग करने लगे थे, जिस वजह से इन्हें पृथक किया गया है ! . .
9 अप्रैल 2025 विश्व नवकार सामूहिक मंत्रोच्चार पर विशेष – *णमोकार महामंत्र के 9 रोचक तथ्य* डॉ.रूचि अनेकांत जैन प्राकृत विद्या भवन ,नई दिल्ली १. यह अनादि और अनिधन शाश्वत महामन्त्र है ।यह सनातन है तथा श्रुति परंपरा में यह हमेशा से रहा है । २. यह महामंत्र प्राकृत भाषा में रचित है। इसमें कुल पांच पद,पैतीस अक्षर,अन्ठावन मात्राएँ,तीस व्यंजन और चौतीस स्वर हैं । ३. लिखित रूप में इसका सर्वप्रथम उल्लेख सम्राट खारवेल के भुवनेश्वर (उड़ीसा)स्थित सबसे बड़े शिलालेख में मिलता है । ४. लिखित आगम रूप से सर्वप्रथम इसका उल्लेख षटखंडागम,भगवती,कल्पसूत्र एवं प्रतिक्रमण पाठ में मिलता है ५. यह निष्काम मन्त्र है । इसमें किसी चीज की कामना या याचना नहीं है । अन्य सभी मन्त्रों का यह जनक मन्त्र है । इसका जाप 9 बार ,108 बार या बिना गिने अनगिनत बार किया जा सकता है । ६. इस मन्त्र में व्यक्ति पूजा नहीं है । इसमें गुणों और उसके आधार पर उस पद पर आसीन शुद्धात्माओं को नमन किया गया है...
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