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Showing posts from May, 2012

ग्लोबल सामायिक क्यों

ग्लोबल सामायिक क्यों ? ......जैन एकता का एक विनम्र प्रयास (अपने विचार शेयर करें ) हमारे कई पंथ हैं,रहें उनके उपासना के अलग अलग ढंग हैं,रहें हम कई सामायिक करते हैं,करें हमारे अलग अलग गुरु हैं,रहें हम रोज मंदिर जाते हैं,जाएँ हम मंदिर नहीं मानते ,न मानें पर सुबह ८ बजे सिर्फ १५ मिनट खुद के लिए और खुदा के लिए ऑंखें बंद करके सुखासन में बैठ कर अपनी आत्मा और परमात्मा का ध्यान पूरे विश्व में सभी जैन चाहे वो किसी भी पंथ के हों एक समय पर एक साथ १५ मिनट सामायिक करें तो एकता कैसे न होगी आत्मा भी निर्मल होगी वैश्विक पहचान भी बनेगी आप ट्रेन में हों प्लेन में हों ऑफिस में हों या दुकान पर हों पार्क में हों या प्लेट फार्म पर हों समय पर सामायिक करें तो अपनी आत्मा ,तीर्थंकर परमात्मा और उसी समय पूरे विश्व के साधर्मी जैनों से एक साथ जुडेंगे यह ग्लोबल सामायिक पंथ निरपेक्ष है हमारा झंडा एक हो गया , तीन लोक वाला चिन्ह एक हो गया , ये पूरे विश्व ने जान लिया कोई एक आचरण भी एक हो जाये ताकि वो भी एक पहचान बन जाये काफी रिसर्च के बाद मैंने खोज की कि हम आध्यात्म से एक ह
विश्व विख्यात विद्वान डॉ हुकुम चंद भारिल्ल JIN FOUNDATION ,NEW DELHI में प्रो.फूलचंद प्रेमी जी के साथ मंत्रणा करते हुए .