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कैसे बढ़ेगी जैनों की घटती जनसँख्या ? डॉ. अनेकांत कुमार जैन

This article is for public domain and open for Publishing (without any changes) in any news paper or website or social media with the name of the author.It can translate in any language.Kindly send a copy of published article to the author's address.  कैसे बढ़ेगी जैनों की घटती जनसँख्या ? डॉ. अनेकांत कुमार जैन भारत में जैनों की जनसँख्या की विकास दर नगण्य रूप से सामने आ रही है |यह एक महान चिंता का विषय है |इस विषय पर सबसे पहले हम कुछ प्राचीन आंकड़ों पर विचार करें | तात्या साहब के. चोपड़े का मराठी भाषा में एक महत्वपूर्ण लेख है ‘जैन आणि हिन्दू’ ,इस पुस्तक के पृष्ठ ४७ -४८ पर कुछ चौकाने वाले तथ्य लिखे हैं जिसका उल्लेख आचार्य विद्यानंद मुनिराज की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘महात्मा गांधी और जैन धर्म’ में है – १.ईसा के १००० साल पहले ४० करोड़ जैन थे | २.ईसा के ५००-६०० साल पहले २५ करोड़ जैन थे  | ३.ईश्वी ८१५ में सम्राट अमोघवर्ष के काल में २० करोड़ जैन थे  | ४.ईश्वी११७३ में महाराजा कुमारपाल के काल में १२ करोड़ जैन थे  | ५.ईश्वी १५५६ अकबर के काल में ४ करोड़ जैन थे | यदि इन आंकड़ो को सह