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Showing posts from August, 2021

तत्त्वार्थसूत्र के अनुसार जीवों की इंद्रियां

*कृमि पिपीलिकाभ्रमरमनुष्यादीनामेवैकवृद्धानि।।२३।।* अर्थ — कृमि, पिपीलिका, भ्रमर, मनुष्यादि के क्रमश: एक—एक इन्द्रियाँ बढ़ती गई हैं। कृमि, लट, केचुआ आदि जीवों के स्पर्शन और रसना ये दो इन्द्रियाँ होती हैं। पिपीलिका—चींटी, बिच्छू आदि जीवों के स्पर्श, रसना और घ्राण ये तीन इन्द्रियाँ होती हैं। भ्रमर—भौंरा, मच्छर आदि जीवों के स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु ये चार इन्द्रियाँ होती हैं तथा मनुष्यादि—मनुष्य, पशु, देव, नारकी इनकी पाँचों ही इन्द्रियाँ होती हैं। समनस्क की परिभाषा बताई है— *संज्ञिन: समनस्का:।।२४।।* अर्थ — मन सहित जीव संज्ञी होते हैं। सम्यक् प्रकारेण ज्ञायते इति संज्ञा’’ और उस संज्ञा से समन्वित, जिन्हें ज्ञान—हेय और उपादेय का विवेक होता है वे प्राणी संज्ञी कहलाते हैं। यह विवेक एकेन्द्रिय से चार इन्द्रिय तक के जीवों को स्वभावत: नहीं होता अत: वे सभी असंज्ञी—मनरहित जीव कहलाते हैं। पंचेन्द्रिय जीवों में ही संज्ञी होने की क्षमता रहती है। उनमें भी मनुष्य, देव, नारकी ये तीन गति वाले जीव तो नियम से संज्ञी ही होते हैं तथा तिर्यंचों में कुछ प्राणी असंज्ञी भी होते हैं। इतना बताने के बाद आचार्यश्

हिंदी की आम अशुद्धियां

हिंदी भाषा से सम्बंधित सुंदर जानकारी.! हिन्दी लिखने वाले अक़्सर  'ई' और 'यी' में,  'ए' और 'ये' में और 'एँ' और 'यें' में जाने-अनजाने गड़बड़ करते हैं...। कहाँ क्या इस्तेमाल होगा? इसका ठीक-ठीक ज्ञान होना चाहिए...।  जिन शब्दों के अन्त में 'ई' आता है वे संज्ञाएँ होती हैं क्रियाएँ नहीं... जैसे: मिठाई, मलाई, सिंचाई, ढिठाई, बुनाई, सिलाई, कढ़ाई, निराई, गुणाई, लुगाई, लगाई, बुझाई...। इसलिए 'तुमने मुझे पिक्चर दिखाई' में 'दिखाई' ग़लत है...  इसकी जगह 'दिखायी' का प्रयोग किया जाना चाहिए...।  इसी तरह कई लोग 'नयी' को 'नई' लिखते हैं...।  'नई' ग़लत है , सही शब्द 'नयी' है...  मूल शब्द 'नया' है , उससे 'नयी' बनेगा...। क्या तुमने क्वेश्चन-पेपर से आंसरशीट मिलायी...? ( 'मिलाई' ग़लत है...।) आज उसने मेरी मम्मी से मिलने की इच्छा जतायी...। ( 'जताई' ग़लत है...।)  उसने बर्थडे-गिफ़्ट के रूप में नयी साड़ी पायी...। ('पाई' ग़लत है)  अब आइए 'ए' और 'ये' के प