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Showing posts from February, 2022

ऋषभदेव और बाबा आदम

इस पृथ्वी पर अनंत कालचक्र हुए हैं, प्रत्येक काल में 6+6 युग (era) होते हैं। पहले 6 युगो का कालचक्र उत्सर्पिणी( ascending) और दुसरे 6 युगो का कालचक्र अवसर्पिणी (descending) कालचक्र कहलाता है। अभी वर्तमान में अवसर्पिणी काल का 5वा युग(era) चल रहा है। अवसर्पिणी काल के पहले 3 युग (era) और उत्सर्पिणी के अंतिम 3 युग (era) "युगलिककाल" कहलाते हैं और उस समय की धरती को "भोगभुमि" कहा जाता है जिसे पश्चिमी धर्मों में garden of Eden(आदम बाग) माना गया है।   उस युगलिककाल में पति-पत्नी जोड़े के रूप में(युगल) पैदा होते हैं,   और 10 प्रकार के पेड़ होते हैं जिन्हें इच्छा वृक्ष (कल्पवृक्ष) कहा जाता है,शास्त्रों में यह भी लिखा है कि एक कल्प समय तक आयु होने से इन्हें कल्पवृक्ष कहा जाता है।  ये युगल लोग उन पेड़ों के फलों को खाकर जीते हैं,और इन कल्पवृक्षों से इनकी सभी जरूरते भी पुरी हो जाती है।   उन्हें किसी भी प्रकार के काम करने की ज़रूरत नहीं होती है, जैसे व्यवसाय आदि करके जीविकोपार्जन करना,खाना बनाना आदि, उनकेे शरीर की शक्ति,ऊंचाई,आयु लाखों वर्षों की होती है,सम्पुर्ण जीवन उनका सुखमय ही हो

आचार्य कुन्दकुन्द

*कुन्दकुन्दाचार्य का व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व*       *आंध्रप्रदेश के अनंतपुर जिले की गुटि तहसील में स्थित कौन्डकुन्दपुर (कौन्डकुन्दी) नामक ग्राम में नगरसेठ गुणकीर्ति की धर्मपरायणा पत्नी शांतला के गर्भ से ईसापूर्व 108 के शार्वरी संवत्सर के माघ मास के शुक्लपक्ष की पंचमी के दिन एक तेजस्वी बालक का जन्म हुआ।* चूँकि गर्भधारण के पूर्व माता शांतला ने स्वप्न में चंद्रमा की चाँदनी देखी थी , सो बालक का नाम *पद्मप्रभ* रखा गया।        बचपन से ही माता पालने में झुलाते समय अध्यात्म की लोरियाँ सुनाती थी --   *शुद्धोSसि बुद्धोSसि निरंजनोSसि।* *संसार   माया परिवर्जितोSसि।।* *आजन्मलीनं  त्यज  मोहनिद्रम।* *शान्तालसावाक्यमुपयासि पुत्र!*        माता के मुख से ऐसी लोरियाँ सुनकर बचपन से ही आत्मरुचि और वैराग्य के संस्कार प्रबल हो गये। जब बालक *पद्मप्रभ* ने ग्यारहवें वर्ष में प्रवेश किया , तभी अष्टांग महानिमित्त के ज्ञाता "आचार्य अनंतवीर्य" कौन्डकुन्दी गाँव में पधारे। और बालक "पद्मप्रभ" को देखकर बोले -- *"यह बालक महान् तपस्वी और परम प्रतापी संत होगा। जब तक जैन परम्परा रहेगी , इस काल में

जैन विद्यालय

*दिगम्बर जैन मुमुक्षु समाज द्वारा संचालित* -         *आवासीय विद्यालय एवं महाविद्यालय*               !  ! *एक सामान्य परिचय* !  !                   *1. श्री टोडरमल दिगंबर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय जयपुर* प्रवेश -- 11th शास्त्री प्रवेश शिविर (शिक्षण-प्रशिक्षण) -  संपर्क -  डॉ. शांतिकुमारजी पाटिल (प्राचार्य) 94139 75133 पं. जिनकुमारजी शास्त्री 89032 01647 पं. जिनेंद्रजी शास्त्री 95719 55276 पं. गौरवजी शास्त्री 77373 23764 *2. आचार्य अकलंकदेव जैन न्याय महाविद्यालय ध्रुवधाम, बाँसवाड़ा* प्रवेश -- 11th शास्त्री प्रवेश शिविर -  संपर्क-  डॉ. प्रवीणजी शास्त्री (प्राचार्य) 77268 88399 पं. दीपकजी शास्त्री 73898 21495 पं. शिखरजी शास्त्री 76651 92676 *3. आचार्य धरसेन दिगंबर जैन सिद्धांत महाविद्यालय (शास्त्री) एवं आचार्य समंतभद्र विद्या निकेतन (cbse) कोटा* प्रवेश-- 8th (cbse) और 11th (शास्त्री) प्रवेश शिविर (cbse) -  प्रवेश शिविर (शास्त्री) -  संपर्क -  पं. धर्मेंद्रजी शास्त्री 9785643203, 7976230467 पं. संजय जी शास्त्री 98970 69969 पं. अभिनयजी शास्त्री 77379 79912  पं. पीयूषजी शास्त्री 90392 90981 प