इस पृथ्वी पर अनंत कालचक्र हुए हैं, प्रत्येक काल में 6+6 युग (era) होते हैं। पहले 6 युगो का कालचक्र उत्सर्पिणी( ascending) और दुसरे 6 युगो का कालचक्र अवसर्पिणी (descending) कालचक्र कहलाता है। अभी वर्तमान में अवसर्पिणी काल का 5वा युग(era) चल रहा है। अवसर्पिणी काल के पहले 3 युग (era) और उत्सर्पिणी के अंतिम 3 युग (era) "युगलिककाल" कहलाते हैं और उस समय की धरती को "भोगभुमि" कहा जाता है जिसे पश्चिमी धर्मों में garden of Eden(आदम बाग) माना गया है। उस युगलिककाल में पति-पत्नी जोड़े के रूप में(युगल) पैदा होते हैं, और 10 प्रकार के पेड़ होते हैं जिन्हें इच्छा वृक्ष (कल्पवृक्ष) कहा जाता है,शास्त्रों में यह भी लिखा है कि एक कल्प समय तक आयु होने से इन्हें कल्पवृक्ष कहा जाता है। ये युगल लोग उन पेड़ों के फलों को खाकर जीते हैं,और इन कल्पवृक्षों से इनकी सभी जरूरते भी पुरी हो जाती है। उन्हें किसी भी प्रकार के काम करने की ज़रूरत नहीं होती है, जैसे व्यवसाय आदि करके जीविकोपार्जन करना,खाना बनाना आदि, उनकेे शरीर की शक्ति,ऊंचाई,आयु लाखों वर्षों की होती है,सम्पुर्ण जीवन उनका सुखमय ही हो...