Skip to main content

देश के विकास में जैनों का योगदान

१)स्वतंत्रता की लड़ाई में सबसे पहले फाँसी पर चड़ने वाले 
लाला हुकम चंद जैन 

२)राम मंदिर की लड़ाई में सबसे पहले सीने पर गोली खाने वाले कोठारी जैन बंधु (दो भाई)

३)राम मंदिर की अदालती लड़ाई लड़कर जीत दिलाने  वाले वकील श्री हरिशंकर जैन एवं विष्णु शंकर जैन (पिता -पुत्र)

४)स्वतंत्र भारत में राम जी पर फेमस भजन बनाने वाले एवं गाने वाले गायक द लीजेंड स्व॰ श्री रविंद्र जैन 

५)भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ विक्रम ए साराभाई जैन 

६)भारत में पहली कार फ़ैक्ट्री खोलने वाले जिन्हें “फादर ऑफ़ ट्रांसपोर्टेशन इन इंडिया ” कहा जाता है 
*श्री वालचंद हीराचंद जैन*

७)भारत में पहली विमान फ़ैक्ट्री  खोलने वाले महान व्यापारी 
श्री वालचंद हीरा चंद जैन 

८)भारत में पहला मॉर्डन शिपयार्ड बनाने वाले महान देशभक्त व्यापारी
श्री वालचंद हीराचंद जैन 

(पहले भारतीय जहाज एसएस लॉयल्टी ने 5 अप्रैल 1919 को मुंबई से लंदन तक अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा की। वालचंद हीराचंद व्यक्तिगत रूप से जहाज पर मौजूद थे।
भारत के स्वतंत्र होने के बाद, उस यात्रा के सम्मान में 5 अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस घोषित किया गया )

९) भारत के सबसे पहले स्टॉक एक्सचेंज बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज bse की स्थापना करने वाले कॉटन किंग श्री प्रेम चंद रॉय चंद जैन जिन्होंने मुंबई में विश्व प्रसिद्ध २५ मंज़िला ऊँचा राजाबाई क्लॉक टावर का निर्माण अपनी माँ के लिए करवाया था 

१०)भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनी 
सन फार्मास्यूटिकल्स 
के मालिक
 दिलिप सांघवी जैन 

११)इन्दु जैन
भारत के बड़े मीडिया ग्रुप बेनेट कोलमैन ऐंड कंपनी की चेयरपर्सन और देश की दूसरी महिला अरबपति
टाइम्स ऑफ इंडिया  28 लाख प्रतियों के साथ दुनिया में किसी भी अंग्रेजी भाषा के अखबार का सबसे बड़ा प्रचलन)

१२).भारत की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनीयो में शुमार  लोधा ग्रुप के मालिक 
भारत के 14वे सबसे अमीर व्यक्ति 
स्वतंत्रता सेनानी के पुत्र महाराष्ट्र कैबिनेट मंत्री श्री मंगल प्रभात जैन (लोधा)

१३)भारत की सबसे बड़ी हीरा कंपनी  ब्लू इंडिया कंपनी के मालिक डायमंड किंग 
श्री रसेल जैन मेहता (अंबानी के समधी )

१४)भारत की सबसे बड़ी सूक्ष्म सिंचाई फर्म, जिसके मालिक श्री भवरलाल जैन हैं, गांधी रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक भी हैं।

१५)फेविकोल किंग मधुकर जैन पारेख, जो एक जैन धर्मावलंबी हैं, देश में सबसे बड़ी एडहेसिव फर्म चलाते है

१६)राजेश जैन  मेहता (राजेश एक्सपोर्ट्स- भारत का सबसे बड़ा सोना और बुलियन निर्यातक)

ये तो सिर्फ़ बानगी है पूरा इतिहास और वर्तमान बताने लगे तो लिखने वाले और पढ़ने वाले भी कम पड़ जाएँगे


social media se saabhaar

Comments

Popular posts from this blog

जैन ग्रंथों का अनुयोग विभाग

जैन धर्म में शास्त्रो की कथन पद्धति को अनुयोग कहते हैं।  जैनागम चार भागों में विभक्त है, जिन्हें चार अनुयोग कहते हैं - प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग।  इन चारों में क्रम से कथाएँ व पुराण, कर्म सिद्धान्त व लोक विभाग, जीव का आचार-विचार और चेतनाचेतन द्रव्यों का स्वरूप व तत्त्वों का निर्देश है।  इसके अतिरिक्त वस्तु का कथन करने में जिन अधिकारों की आवश्यकता होती है उन्हें अनुयोगद्वार कहते हैं। प्रथमानुयोग : इसमें संयोगाधीन कथन की मुख्यता होती है। इसमें ६३ शलाका पुरूषों का चरित्र, उनकी जीवनी तथा महापुरुषों की कथाएं होती हैं इसको पढ़ने से समता आती है |  इस अनुयोग के अंतर्गत पद्म पुराण,आदिपुराण आदि कथा ग्रंथ आते हैं ।पद्मपुराण में वीतरागी भगवान राम की कथा के माध्यम से धर्म की प्रेरणा दी गयी है । आदि पुराण में तीर्थंकर आदिनाथ के चरित्र के माध्यम से धर्म सिखलाया गया है । करणानुयोग: इसमें गणितीय तथा सूक्ष्म कथन की मुख्यता होती है। इसकी विषय वस्तु ३ लोक तथा कर्म व्यवस्था है। इसको पढ़ने से संवेग और वैराग्य  प्रकट होता है। आचार्य यति वृषभ द्वारा रचित तिलोयपन...

णमोकार महामंत्र के 9 रोचक तथ्य

9 अप्रैल 2025 विश्व नवकार सामूहिक मंत्रोच्चार पर विशेष – *णमोकार महामंत्र के 9 रोचक तथ्य* डॉ.रूचि अनेकांत जैन प्राकृत विद्या भवन ,नई दिल्ली १.   यह अनादि और अनिधन शाश्वत महामन्त्र है  ।यह सनातन है तथा श्रुति परंपरा में यह हमेशा से रहा है । २.    यह महामंत्र प्राकृत भाषा में रचित है। इसमें कुल पांच पद,पैतीस अक्षर,अन्ठावन मात्राएँ,तीस व्यंजन और चौतीस स्वर हैं । ३.   लिखित रूप में इसका सर्वप्रथम उल्लेख सम्राट खारवेल के भुवनेश्वर (उड़ीसा)स्थित सबसे बड़े शिलालेख में मिलता है ।   ४.   लिखित आगम रूप से सर्वप्रथम इसका उल्लेख  षटखंडागम,भगवती,कल्पसूत्र एवं प्रतिक्रमण पाठ में मिलता है ५.   यह निष्काम मन्त्र है  ।  इसमें किसी चीज की कामना या याचना नहीं है  । अन्य सभी मन्त्रों का यह जनक मन्त्र है  । इसका जाप  9 बार ,108 बार या बिना गिने अनगिनत बार किया जा सकता है । ६.   इस मन्त्र में व्यक्ति पूजा नहीं है  । इसमें गुणों और उसके आधार पर उस पद पर आसीन शुद्धात्माओं को नमन किया गया है...

सम्यक ज्ञान का स्वरूप

*सम्यक ज्ञान का स्वरूप*  मोक्ष मार्ग में सम्यक ज्ञान का बहुत महत्व है । अज्ञान एक बहुत बड़ा दोष है तथा कर्म बंधन का कारण है । अतः अज्ञान को दूर करके सम्यक ज्ञान प्राप्त करने का पूर्ण प्रयास करना चाहिए । परिभाषा -  जो पदार्थ जैसा है, उसे वैसे को वैसा ही जानना, न कम जानना,न अधिक जानना और न विपरीत जानना - जो ऍसा बोध कराता है,वह सम्यक ज्ञान है । ज्ञान जीव का एक विशेष गुण है जो स्‍व व पर दोनों को जानने में समर्थ है। वह पा̐च प्रकार का है–मति, श्रुत, अवधि, मन:पर्यय व केवलज्ञान। अनादि काल से मोहमिश्रित होने के कारण यह स्‍व व पर में भेद नहीं देख पाता। शरीर आदि पर पदार्थों को ही निजस्‍वरूप मानता है, इसी से मिथ्‍याज्ञान या अज्ञान नाम पाता है। जब सम्‍यक्‍त्व के प्रभाव से परपदार्थों से भिन्न निज स्‍वरूप को जानने लगता है तब भेदज्ञान नाम पाता है। वही सम्‍यग्‍ज्ञान है। ज्ञान वास्‍तव में सम्‍यक् मिथ्‍या नहीं होता, परन्‍तु सम्‍यक्‍त्‍व या मिथ्‍यात्‍व के सहकारीपने से सम्‍यक् मिथ्‍या नाम पाता है। सम्‍यग्‍ज्ञान ही श्रेयोमार्ग की सिद्धि करने में समर्थ होने के कारण जीव को इष्ट है। जीव का अपना प्रतिभ...