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जैन विदूषी श्रीमती डॉ० मुन्नी जैन


श्रीमती डॉ० मुन्नी जैन
जन्म- 22 जून 1957, दमोह (म.प्र.) 

शिक्षा– प्राकृताचार्य, जैनदर्शनाचार्य, एम. ए. (हिन्दी) पी-एच.डी.(बी.एच.यू.से) ,शिक्षाशास्त्री, पुस्तकालय- विज्ञानशास्त्री

माता-पिता- श्रीमती संतोष रानी जैन एवं श्री हुकमचन्द जैन, दमोह (म.प्र.)

धर्मपत्नी- प्रो० फूलचन्द जैन प्रेमी, 
पूर्व जैनदर्शन विभागाध्यक्ष,सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय,वाराणसी

परिवार - 1. ज्येष्ठ पुत्र- प्रो. अनेकान्त कुमार जैन, जैनदर्शन विभाग श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली 

2. पुत्री -: डॉ० इन्दु जैन राष्ट्र गौरव, नई दिल्ली,  (राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय जैन प्रतिनिधि)

3. कनिष्ठ पुत्र - डॉ. अरिहन्त कुमार जैन,असिस्टेंट प्रोफेसर, के. जे. सौमय्या विद्याविहार  युनिवर्सिटी,मुम्बई.

कार्यक्षेत्र -1) सत्र 2011 से 2022 तक सम्पूर्णानन्द संस्कृत वि. वि. वाराणसी के जैनदर्शन विभाग में अतिथि प्राध्यापिका।

2) देश के अनेक नगरों में एवं विश्वविद्यालयों आदि में आयोजित ब्राह्मी लिपि कार्यशालाओं में प्रशिक्षण दिया।

3) बीस से अधिक अखिल भारतीय संगोष्ठि‌यों में शोधालेख प्रस्तुति। 

4) अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समसामयिक तथा अनुसंधान परक लेख प्रकाशित ।

5) आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर  वार्ताएँ.

मौलिक ग्रन्थ -: 
1 ) "हिन्दी गद्य के विकास में जैन मनीषी पं. सदासुखदास का योगदान" - नामक मौलिक शोधग्रन्थ पार्श्वनाथ विद्यापीठ वाराणसी से 2002 में प्रकाशित. तथा कुंन्दकुन्द शिक्षण ट्रस्ट, मुम्बई से एवं जैन विद्या संस्थान, श्रीमहावीर जी से पुरस्कृत एवं सम्मानित ।

2 ) जैनधर्म- दर्शन  एवं साहित्य विषयक शोध निबंधों का संग्रह प्रकाशन हेतु तैयार.

हस्तलिखित पाण्ड‌लिपियों का सम्पादन /प्रकाशन -

1 )  शौरसेनी प्राकृत भाषा में आचार्य वट्टकेर (2-3 सदी) द्वारा प्रणीत मूलाचार  पर "भाषा वचनिका" (17 वीं सदी) नामक बृहद् ग्रन्थ का सम्पादन एवं प्रकाशन ।

2 ) प्राकृत, संस्कृत, पुरानी हिन्दी में लिखित लगभग दस प्राचीन हस्तलिखित लघु पाण्डुलिपियों का सम्पादन तथा अनगार वन्दना, पंचेन्द्रिय- सम्वाद, मुनिराज 
वंदना,बत्तीसी एवं रत्नजोग शास्त्र - ये चार लघु ग्रन्थ "श्रमण” शोध पत्रिका के अनेक अंकों में प्रकाशित ।
 
पुरस्कार / सम्मान - 
1. उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृत संस्थान, लखनऊ द्वारा मूलाचार- भाषा वचनिका बृहद् ग्रन्थ के सम्पादन कार्य पर विशेष- पुरस्कार से सम्मानित.

2) कुन्दकुन्द शिक्षण ट्रस्ट मुम्बई से पं. सदासुखदास पर लिखित शोध-प्रबन्ध पर पुरस्कृत एवं सम्मानित ।

3) श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला में सन् 2018 में आयोजित अखिल भारतीय महिला सम्मेलन पर ब्राह्मी लिपि के प्रचार-प्रसार एवं विशेषज्ञता पर "आदर्श महिला" सम्मान से सम्मानित। 

4) श्री दि. जैन महासमिति द्वारा 2020 में ‘नारी गौरव’ सम्मान ।
 
सम्प्रति— गार्हस्थिक दायित्वों एवं कार्यों के साथ-साथ निरंतर सत्साहित्य के स्वाध्याय,अध्यापन, लेखन, हस्तलिखित प्राचीन ग्रन्थ-सम्पादन, ब्राह्मी लिपि प्रशिक्षण तथा नई पीढ़ी को संस्कारित करने के विभिन्न कार्यों में निरन्तर संलग्न ।

सम्पर्क - अनेकान्त विद्या भवन, बी 23/45, P-6. शारदानगर कॉलोनी, खोजवाँ ,वाराणसी-221010.
मोबाइल.8887531735/9450179254   .               ****

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