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Showing posts from August, 2022

जैन परंपरा में व्रत उपवास का मतलब

● चोविहार - किसी भी तपस्या में सूर्य छिपने के बाद से सूर्य निकलने तक कुछ भी न खाना होता न पीना होता,जिसे चौविहार कहते है ! ● तिविहार - में केवल पानी छोडकर बाकी सब चीजों का त्याग होता है ! ● उपवास -  तपस्या वाले दिन से पहले दिन भी रात्री से त्याग (चौविहार) होना चाहिए तथा अधिकतर समय धर्मध्यान शास्त्र-श्रवण, स्वाध्याय आदि - आदि में बिताना चाहिए ! 1. नवकारसी - सूर्य निकलने के बाद दो घड़ी यानी 48 मिनट तक मुहं में कुछ भी नही डालना ! 2. पोरिसी(प्रहर) -  सूर्य निकलने के बाद लगभग तीन घंटे तक मुहं में कुछ नही डालना! 3. एकासना - सिर्फ दिन में केवल एक बार ही, एक जगह ही बैठकर (बैठने के बाद उठना नही) खाना,पीना! पहले या बाद में उबला हुआ जल कितनी ही बार ले सकते है! वह भी सिर्फ दिन में। 4. बियासना - इसमें सिर्फ दिन में दो बार खा सकते है एक जगह बैठ कर बाकी एकासने की तरह! वह भी दिन में। 5. एकलठाणा - इसमें पानी भी केवल एक बार भोजन के समय ही लेना होता है, बाकी एकासन की तरह! 6. आयम्बिल - दिन में एक ही बार एक जगह बैठकर उबला जल के साथ एक ही रूखे सूखे अचित धान्य का सेवन करना यानी न नमक, न मिर्च, न घी,...