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Showing posts from September, 2024

प्रायश्चित्त के दश या नौ भेद

*प्रायश्चित्त के दश या नौ भेद* – डॉ. स्वर्णलता जैन, नागपुर        मूलाचार में प्रायश्चित्त के भेदों को बताने वाली गाथा निम्न प्रकार है - *आलोयणपडिकमणं, उभयविवेगो तहा विउस्सग्गो।*  *तव छेदो मूलं वि य, परिहारो चेव सद्दहणा।।*  मूलाचार, 5/165 एवं 11/16       अर्थात् 1- आलोचना, 2- प्रतिक्रमण, 3- तदुभय, 4- विवेक, 5- व्युत्सर्ग, 6- तप, 7- छेद, 8- मूल, 9- परिहार और 10- श्रद्धान - ये प्रायश्चित्त के दश भेद हैं।  और देखें, अनगार धर्मामृत, संस्कृत पंजिका, पृष्ठ 513 एवं मूलाचार प्रदीप 1835-37  आचारसार में भी दश भेदों का कथन किया गया है। मात्र वहाँ श्रद्धान के स्थान पर दर्शन शब्द का प्रयोग किया गया है।   आचारसार, 6/23-24  मूलाचार की आचारवृत्ति टीका में कहा है कि उक्त दश प्रकार के प्रायश्चित्तों को दोषों के अनुसार देना चाहिए। कुछ दोष आलोचना मात्र से निराकृत हो जाते हैं, कुछ दोष प्रतिक्रमण से दूर किये जाते हैं तो कुछ दोष आलोचना और प्रतिक्रमण - इन दोनों अर्थात् तदुभय प्रायश्चित्त के द्वारा नष्ट किये जाते हैं; कोई दोष विवेक प्रायश्चित्त से, कोई दोष व्युत्सर्ग प्रायश्चित्त से, कोई दोष तप प्रायश्चित्त से

सच्ची क्षमा उनसे

*सच्ची क्षमा उनसे:* पहली- क्षमा उन भगवंतों से, जिनकी साक्षी में हमने नरको में कसमें खाई थीं, की नरभव मिलने पे स्व: कल्याण करने की।🙏🏻 दूसरी- क्षमा उन अरिहंत भगवान से, जिनको पूजा में आवाहन करके हृदय में बसाया पर पंच पाप नहीं छोड़ पाए।🙏🏻 तीसरी- क्षमा उन संयमी गुरुओं से, जिनके उपदेश को हमने सुना-अनसुना किया, असंयम में ही जीवन व्यतीत किया, उनकी विनय में कोई कमी रही हो।🙏🏻 चौथी- क्षमा उन जिनवाणी माँ से, जिनकी वाणी सुनकर भी मोहान्ध रहा।🙏🏻 पांचवी- क्षमा उन माँ-बाप से, जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन किया, लेकिन हमने उन्हें वह सम्मान न दिया हो जिसके वह हक़दार थे।🙏🏻 छठी- क्षमा उन दीन-हीन गरीबों से, जिनकी सहायता के लिए हमे धन व बल मिला, लेकिन उनसे मुख मोड़ लिया, अपने नाम व ऐशोआराम के लिए ख़र्च किया।🙏🏻 सातवी- क्षमा उन साधर्मी भाइयों- सब मित्रों से, जिनके साथ स्वार्थवश-अभिमानवश अपराध किया हो।🙏🏻 आठवी- क्षमा उन सभी परिवारजन-कुटुम्बजन-रिश्तेदारों-अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारियों से जिनसे अपने अहंकार के कारण दुर्व्यवहार किया हो।🙏🏻 नौंवी- क्षमा उन एक से पांच इन्द्रिय प्राणियों से,आंखें होते ह