*सच्ची क्षमा उनसे:*
पहली- क्षमा उन भगवंतों से, जिनकी साक्षी में हमने नरको में कसमें खाई थीं, की नरभव मिलने पे स्व: कल्याण करने की।🙏🏻
दूसरी- क्षमा उन अरिहंत भगवान से, जिनको पूजा में आवाहन करके हृदय में बसाया पर पंच पाप नहीं छोड़ पाए।🙏🏻
तीसरी- क्षमा उन संयमी गुरुओं से, जिनके उपदेश को हमने सुना-अनसुना किया, असंयम में ही जीवन व्यतीत किया, उनकी विनय में कोई कमी रही हो।🙏🏻
चौथी- क्षमा उन जिनवाणी माँ से, जिनकी वाणी सुनकर भी मोहान्ध रहा।🙏🏻
पांचवी- क्षमा उन माँ-बाप से, जिन्होंने अपने कर्तव्य का पालन किया, लेकिन हमने उन्हें वह सम्मान न दिया हो जिसके वह हक़दार थे।🙏🏻
छठी- क्षमा उन दीन-हीन गरीबों से, जिनकी सहायता के लिए हमे धन व बल मिला, लेकिन उनसे मुख मोड़ लिया, अपने नाम व ऐशोआराम के लिए ख़र्च किया।🙏🏻
सातवी- क्षमा उन साधर्मी भाइयों- सब मित्रों से, जिनके साथ स्वार्थवश-अभिमानवश अपराध किया हो।🙏🏻
आठवी- क्षमा उन सभी परिवारजन-कुटुम्बजन-रिश्तेदारों-अधीनस्थ काम करने वाले कर्मचारियों से जिनसे अपने अहंकार के कारण दुर्व्यवहार किया हो।🙏🏻
नौंवी- क्षमा उन एक से पांच इन्द्रिय प्राणियों से,आंखें होते हुए भी प्रमादवश जिनको हमने मारा हो या दुख दिया हो।🙏🏻
अंतिम- क्षमा उन संसार के समस्त प्राणियों से, जिनको जाने अनजाने में मन-वचन-काय से कषाय के वश पीड़ा पहुचाई हो।🙏🏻
*उत्तम क्षमा।*
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