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Showing posts from February, 2013

धर्म /संप्रदाय की समीक्षा

दूसरे के धर्म /संप्रदाय की समीक्षा करते वक्त हम जितने यथार्थवादी हो जाते हैं उतने यथार्थवादी यदि अपने धर्म/संप्रदाय  की समीक्षा में हो जाएँ तो शायद हम सत्य को जान पायें | -कुमार अनेकान्त

‘अहिंसा दर्शन’ यानि पारंपरिक ऊर्जा के साथ आधुनिक हस्तक्षेप

सादर प्रकाशनार्थ -        ‘अहिंसा दर्शन’ यानि पारंपरिक ऊर्जा के साथ आधुनिक हस्तक्षेप अनुराग बैसाखिया [1]             डॉ . अनेकांत कुमार जैन की नयी कृति ‘ अहिंसा दर्शन : एक अनुचिंतन ’ विश्व शान्ति और अहिंसा पर लिखी गयी तमाम पुस्तकों में से अलग इस दृष्टि से है क्यूँ कि यह उन   सभी पुस्तकों के निष्कर्षों तथा लेखक के मौलिक चिंतन और अनुसंधान का ऐसा मेल है जो हमें उन अनुभूतियों में ले जाता है जो प्राचीन तथा अर्वाचीन आचार्यों द्वारा प्रसूत हुईं हैं | यह किताब सहजता के साथ हमें आज की मौजूदा समस्यायों और परिस्थितियों में अहिंसक होने की प्रेरणा देकर तार्किक तथा प्रायोगिक रूप से उसका समाधान बताने की एक सार्थक पहल भी करती है |पुस्तक में लेखक ने किसी किस्म के दुराग्रह से मुक्त होने की पूरी कोशिश की है जैसे धर्मों में लगभग संसार के सभी प्रमुख धर्म इसमें लिए गए हैं हाँ जैन धर्म में अहिंसा की व्याख्या ज्यादा है इसलिए उसकी व्याख्या पर अधिक बल स्पष्ट दिखाई देता है इसका कारण यह भी है कि लेखक स्वयं जैनदर्शन के भी विद्वान हैं| स्वयं जैन धर्म में भी अनेक सम्प्रदाय हैं उन सभी का प्रतिनिधित्व