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Showing posts from 2018
ग्लोबल सामायिक क्यों ? ......जैन एकता का एक विनम्र प्रयास (अपने विचार शेयर करें ) हमारे कई पंथ हैं,रहें उनके उपासना के अलग अलग ढंग हैं,रहें हम कई सामायिक करते हैं,करें हमारे अलग अलग गुरु हैं,रहें हम रोज मंदिर जाते हैं,जाएँ हम मंदिर नहीं मानते ,न मानें पर सुबह ८ बजे सिर्फ १५ मिनट खुद के लिए और खुदा के लिए ऑंखें बंद करके सुखासन में बैठ कर अपनी आत्मा और परमात्मा का ध्यान पूरे विश्व में सभी जैन चाहे वो किसी भी पंथ के हों एक समय पर एक साथ १५ मिनट सामायिक करें तो एकता कैसे न होगी आत्मा भी निर्मल होगी वैश्विक पहचान भी बनेगी आप ट्रेन में हों प्लेन में हों ऑफिस में हों या दुकान पर हों पार्क में हों या प्लेट फार्म पर हों समय पर सामायिक करें तो अपनी आत्मा ,तीर्थंकर परमात्मा और उसी समय पूरे विश्व के साधर्मी जैनों से एक साथ जुडेंगे यह ग्लोबल सामायिक पंथ निरपेक्ष है हमारा झंडा एक हो गया , तीन लोक वाला चिन्ह एक हो गया , ये पूरे विश्व ने जान लिया कोई एक आचरण भी एक हो जाये ताकि वो भी एक पहचान बन जाये काफी रिसर्च के बाद मैंने खोज की कि हम आध्यात्म से एक

शाकाहार क्यों ?

नमस्कार मित्रों मैं बोल रहा हूँ  प्रो अनेकांत   भारत से  आज आप से कुछ बात करना चाहते हैं। आजकल मन की बात कहने का दौर चला है। इसलिए मेरी भी इच्छा हुई कि कुछ मन की बात आप लोगों के साथ करूँ। यदि आप के पास समय हो पाँच मिनिट की फुर्सत हो तो आज मेरे मन की बात सुन लीजिए। हो सकता है ये मेरे मन की बात आपके मन की बात भी बन जाए। बहुत समय से बात कहने की इच्छा थी लेकिन पता नहीं ऐसा परिवेश ऐसी परिस्थितियां खड़ी हुई है कि हम कभी धर्म के नाम पर, कभी जातियों के नाम पर, कभी संप्रदाय के नाम पर, कभी क्षेत्र के नाम पर इतने ज्यादा विभाजित है कि आज सही बात करना भी गुनाह हो गया है। हर सच्चाई किसी ना किसी मतलब से सामने निकल रही है।  कभी सच्चाई को इस रूप में भी हमें देखना चाहिए कि यह  मेरे लिए है इसका किसी संप्रदाय से, धर्म से, मज़हब से जाती से कोई मतलब नहीं है। हम मनुष्य है, मानव है और एक सच्चे मानव के रूप में भी कभी हमें उन चीजों पर विचार करना चाहिए जो हमारी आत्मा से जुडी हुई है। किन कारणों से हमारी आत्मा दूषित होती है। हम अपनी आत्मा की शुद्धि कैसे कर सकते हैं?  मनुष्य के रूप में जन्म लेकर हम अपने जन्म को सार्थ

विश्व योग दिवस 21 जून पर विशेष

" जैन योग की समृद्ध परंपरा"                              - प्रो. डॉ अनेकांत कुमार जैन  योग भारत की विश्व को प्रमुख देन है | यूनेस्को ने २ ओक्टुबर को अहिंसा दिवस घोषित करने के बाद २१ जून को विश्व योग दिवस की घोषणा करके भारत के शाश्वत जीवन मूल्यों को अंतराष्ट्रिय रूप से स्वीकार किया है |इन दोनों ही दिवसों का भारत की प्राचीनतम जैन संस्कृति और दर्शन से बहुत गहरा सम्बन्ध है |श्रमण संस्कृति का मूल आधार ही अहिंसा और योग ध्यान साधना है |इस अवसर पर यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि जैन परंपरा में योग ध्यान की क्या परंपरा ,मान्यता और दर्शन है ?  जैन योग की प्राचीनता और आदि योगी जैन योग का इतिहास बहुत प्राचीन है |प्राग ऐतिहासिक काल के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने जनता को सुखी होने के लिए योग करना सिखाया |मोहन जोदड़ो और हड़प्पा में जिन योगी जिन की प्रतिमा प्राप्त हुई है उनकी पहचान ऋषभदेव के रूप में की गयी है | मुहरों पर कायोत्सर्ग मुद्रा में योगी का चित्र प्राप्त हुआ है ,यह कायोत्सर्ग की मुद्रा जैन योग की प्रमुख विशेषता है |इतिहास गवाह है कि आज तक प्राचीन से प्राचीन और नयी से नयी जितनी भी जैन

इस घटना के माध्यम से मैं कुछ कहना चाहता हूँ---/////

इस घटना के माध्यम से मैं कुछ कहना चाहता हूँ ...................... हमने दूसरे समुदाय से क्या सीखा ?और उन्हें क्या सिखाया ?                                         -  डॉ अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली  मैं आपको एक नयी ताज़ा सत्य घटना सुनाना चाहता हूँ और उसके माध्यम से बिना किसी निराशा के कुछ कहना भी चाहता हूँ | शायद आप समझ जाएँ |  अभी मेरा दिल्ली में लोधी कॉलोनी में आयोजित एक सर्व धर्म संगोष्ठी में जाना हुआ | जैन धर्म की तरफ से मुझे प्रतिनिधित्व करना था | वह एक राउंड टेबल परिचर्चा थी जिसमें भाषण देने देश के विभिन्न धर्मों के लगभग २४-२५ प्रतिनिधि पधारे थे | अध्यक्ष महोदय ने सभा प्रारंभ की और सभी को वक्तव्य देने से पहले एक शर्त लगा दी कि आपको अपने धर्म के बारे में कुछ नहीं कहना है | आपको अपने से इतर किसी एक धर्म के समुदाय से आपने कौन सी अच्छी बात सीखी सिर्फ यह बताना है | जाहिर सी बात है मेरी तरह सभी अपने धर्म की विशेषताएं बतलाने के आदी थे और अचानक ये नयी समस्या ? खैर सभी ने खुद को किसी तरह तैयार किया इस अनोखे टास्क के लिए | जो हिन्दू धर्म का विद्वान् था उसने इस्लाम की प्रशंसा करके उनकी ए