नमस्कार मित्रों मैं बोल रहा हूँ प्रो अनेकांत भारत से आज आप से कुछ बात करना चाहते हैं। आजकल मन की बात कहने का दौर चला है। इसलिए मेरी भी इच्छा हुई कि कुछ मन की बात आप लोगों के साथ करूँ। यदि आप के पास समय हो पाँच मिनिट की फुर्सत हो तो आज मेरे मन की बात सुन लीजिए। हो सकता है ये मेरे मन की बात आपके मन की बात भी बन जाए। बहुत समय से बात कहने की इच्छा थी लेकिन पता नहीं ऐसा परिवेश ऐसी परिस्थितियां खड़ी हुई है कि हम कभी धर्म के नाम पर, कभी जातियों के नाम पर, कभी संप्रदाय के नाम पर, कभी क्षेत्र के नाम पर इतने ज्यादा विभाजित है कि आज सही बात करना भी गुनाह हो गया है। हर सच्चाई किसी ना किसी मतलब से सामने निकल रही है। कभी सच्चाई को इस रूप में भी हमें देखना चाहिए कि यह मेरे लिए है इसका किसी संप्रदाय से, धर्म से, मज़हब से जाती से कोई मतलब नहीं है। हम मनुष्य है, मानव है और एक सच्चे मानव के रूप में भी कभी हमें उन चीजों पर विचार करना चाहिए जो हमारी आत्मा से जुडी हुई है। किन कारणों से हमारी आत्मा दूषित होती है। हम अपनी आत्मा की शुद्धि कैसे कर सकते हैं? मनुष्य के रूप म...