*‘द्रव्यसंग्रह’ का प्राचीन पद्यानुवाद* -प्रो. वीरसागर जैन आचार्य नेमिचंद्र सिद्धान्तचक्रवर्ती की अनुपम कृति ‘द्रव्यसंग्रह’ के आज तो अनेक हिंदी-पद्यानुवाद हो चुके हैं, किन्तु हममें से अधिकांश लोग यह नहीं जानते हैं कि इसका प्रथम हिंदी-पद्यानुवाद आज से लगभग साढ़े तीन सौ वर्ष पूर्व विक्रम संवत् १७३१ में भैया भगवतीदासजी ने किया था | भैया भगवतीदासजी अपने समय में ‘द्रव्यसंग्रह’ को पढ़ाने में विशेष कुशल माने जाते थे और इसीलिए ‘द्रव्यसंग्रह’ के प्रचार-प्रसार में उनका बड़ा भ...