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Showing posts from June, 2021

संस्कृत के ध्येय वाक्य

विभिन्न संस्थाओं के संस्कृत ध्येय वाक्य :-- भारत सरकार --        " सत्यमेव जयते " लोक सभा --        " धर्मचक्र प्रवर्तनाय " उच्चतम न्यायालय --        " यतो धर्मस्ततो जयः " आल इंडिया रेडियो --           " सर्वजन हिताय सर्वजनसुखाय " दूरदर्शन --        " सत्यं शिवम् सुन्दरम " गोवा राज्य --        " सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्। " भारतीय जीवन बीमा निगम --        " योगक्षेमं वहाम्यहम् " डाक तार विभाग --        " अहर्निशं सेवामहे " श्रम मंत्रालय --        " श्रम एव जयते " भारतीय सांख्यिकी संस्थान --        " भिन्नेष्वेकस्य दर्शनम् " थल सेना --        " सेवा अस्माकं धर्मः " वायु सेना --        " नभःस्पृशं दीप्तम् " जल सेना --        " शं नो वरुणः " मुंबई पुलिस --        " सद्रक्षणाय खलनिग्र...

क्या जैन का मतलब बनिया होता है ?

Dr Amit Rai Jain के फेसबुक वाल से साभार क्या जैन मतलब बणिया होता है ? #Jain_Bania  सोशल मीडिया पर चल रहे माहौल को देखते हुए मैं यह पोस्ट लिख रहा हूं,कि क्या जैन का अर्थ बणिया होता है,आमतौर पर सबकी यह धारणा होती है कि जैन से आशय बणिया/वैश्य वर्ण की एक जाति है।अगर आप भी ऐसा मानते हैं तो आप बहुत बड़ी गलतफहमी के शिकार है।   जैन कोई जाति या वर्ण नहीं है,बल्कि यह स्वतंत्र धर्म है,इसे समझने के लिए हमें इसके इतिहास की ओर जाना पड़ेगा, जैन धर्म का अपना स्वतंत्र इतिहास है,यह भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे पुराना धर्म है,यहां तक कि वैदिक के भी पहले भी यहां के मूलनिवासियों का धर्म यही था,और इसके अनुयायी ही जैन थे, जिन्हें तत्कालीन समय में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता था।    अधिकतर लोग जानकारी के अभाव में जैन-धर्म को वैष्णव या हिंदू से जोड़कर देखते हैं,किंतु मूलनिवासी देवता शिव और प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव एक ही पुरुष थे, यहां का धर्म ऋषभदेव का अनुयायी ही था !    अंतिम तीर्थंकर महावीर के बाद जैन-धर्म दो परंपराओं में बंट गया,दिगंबर व श्वेतांबर। दिगंबर दक्षिण भारत में अधिक प्रचार...