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Showing posts from May, 2022

8000 जैन साधुओं के नरसंहार का इतिहास

8000 जैन साधुओं के नरसंहार का इतिहास ✍️ अनुभव जैन जैन धर्म का इतिहास प्राचीनकाल से ही अत्यंत गौरवशाली रहा है, जैन परम्परा अथवा श्रमण परम्परा न मात्र भारत अपितु विश्व की सर्वाधिक प्राचीन संस्कृतियों में से एक है। भगवान महावीर के पूर्व आदिनाथ से लेकर पार्श्वनाथ तक का इतिहास जैन पौराणिक ग्रंथों में उपलब्ध होता है, जो इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। जैन संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है एवं अहिंसा मूलक संस्कृति का सर्वोत्तम आदर्श है। इसकी सुरक्षा एवं वृद्धि दोनों ही आधुनिक युग के लिए न मात्र हितकारी हैं अपितु मार्गदर्शक भी हैं। इसके आश्रय से मानवता का विकास भी होता है और कल्याण भी। कहा जाता रहा है कि जैन आबादी भारत देश में पूर्व से ही अति-घनत्व के साथ अन्य परम्पराओं और संस्कृतियों को अपने साथ लिए जीवित रही है, किंतु वर्तमान समय पर दृष्टिपात करने पर जिस अनुपात में जैन जनसंख्या दिखाई देती है, उसके अनुसार यह कह पाना कि कुछ शताब्दियों पहले जैनों की जनसंख्या करोड़ों में रही है, विस्मयकारी सा प्रतीत होता है। किन्तु, इतिहास कुछ और ही कहता है। भारत वर्ष पर अनेकों जैन सम्राटों ने कई सदियो

अपनी भाषा बचाना जरूरी है

विश्व के दूसरे देश अपनी भाषाओं के लिए क्या कर रहे हैं:? ए ·       चीन, जापान, 3222 और वियतनाम में सरकारी फरमान या आदेश अंग्रेजी में आने पर जनता जापानी भाषा विश्व  की सबसे क्लिष्ट हैके3। उसकी लिपि में ५००० से अधिक चिन्ह हैं, ल335कि3333 बावजूद वे हर कार्य अपनी भाषा में ही करना पसंद करते च q  हैं। ·       अंग्रेजी के बिना333 322223 जापान ने जबर्दस्त उन्नति की है। जापान इलैक्ट्रॉनिक सामान व उपकरण बनाने में विश्व में सर्वोच्च स्थान प्राप्त देश है जिसके माल की खपत हर जगह है। ·       अनेक देशों जिनमें लीबिया, इराक व बांग्लादेश शामिल है ने एक में अंग्रेजी को निकाल बाहर कर दिया। बांग्लादेश ने ईसाई मिशनरी के संदर्भ में कहा कि इनकी अंग्रेजी से हमारी बंगाली भाषा को खतरा है। 2·       माओत्से तुंग ने सत्ता पर काबिज होते ही पूरे चीन में एक ही चीनी भाषा लागू कर दी, जबकि पहले वहां भी ६-७ क्षेत्रीय भाषाएँ थी। एक चीनी भाषा होने के कारण भाषायी एकता होने से सभी चीनी स्वयं को एक सूत्र में जुड़े अनुभव करते हैं। आज से 2 वर्ष पहले चीनी भाषा में अंक नहीं थे इसलिए वे लोग अंग्रेजी के अंकों को ही इस्तेमाल

चंद्रगुप्त सम्राट

*महाप्रतापी चंद्रगुप्त मौर्य "महान सम्राट" की भारतीय अवधारणा का साक्षात उदाहरण थे।* अहर्निश जनकल्याण को समर्पित, अनुशासित, करूणावत्सल, उदार, योग्य प्रशासक, महान सेनानायक थे। *वे जैन धर्म के अनुयायी थे।* ईसापूर्व चौथी शती में जब ग्रीक आक्रमणों से भयभीत, छोटे छोटे टुकड़ों में बंटे देश को जोड़ कर चंद्रगुप्त मौर्य ने महान रणनीतिकार व कूटनीतिज्ञ, सर्वश्रेष्ठ महामंत्री व देशभक्त गुरू चाणक्य के आशीर्वाद, कृपा और सहायता से अखंड भारत की कल्पना को साकार किया। वह भारत का महानतम साम्राज्य था । उसके पौत्र अशोक ने उसमें केवल कलिंग और जोड़ा। यह भ्रम देशी व वामंपथी इतिहासकारों द्वारा फैलाया गया है कि भारतवर्ष को राजनीतिक एकता का पाठ अंग्रेजों ने पढ़ाया। यह गलत है।  . जब चंद्रगुप्त मौर्य अपनी प्रांतीय उपराजधानी उज्जैन में ठहरे थे, तब जैनाचार्य भद्रबाहु श्रुतकेवली विशाल संघ सहित वहां पधारे। चंद्रगुप्त को उन्ही दिनों 16 स्वप्न दिखे। उनका फल भद्रबाहुस्वामी ने दुखद बताया और आचार्य भद्रबाहु ने निमित्त ज्ञान से जान लिया कि उत्तर भारत में 12 वर्ष का दुर्भिक्ष पड़ने वाला है। महाराजाधिराज चंद्रगुप्त को वैर

शाकाहारी और मांसाहारी ?

[ शाकाहार और मांसाहार पर एक सुंदर लेख । *शिक्षक का अदभुत ज्ञान* *मनुष्य मांसाहारी है या शाकाहारी है....पुरा पढिये* एक बार एक चिंतनशील शिक्षक ने अपने 10th स्टेंडर्ड के बच्चों से पूछा कि  आप लोग कहीं जा रहे हैं और  सामने से कोई कीड़ा मकोड़ा या कोई साँप छिपकली या कोई गाय-भैंस या अन्य कोई ऐसा विचित्र जीव दिख गया, जो आपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा हो, तो प्रश्न यह है कि  आप कैसे पहचानेंगे कि  वह जीव *अंडे* देता है *या बच्चे* ?   क्या पहचान है उसकी ? अधिकांश बच्चे मौन रहे  जबकि कुछ बच्चों में बस आंतरिक खुसर-फुसर चलती रही...। मिनट दो मिनट बाद  फिर उस चिंतनशील शिक्षक ने स्वयम ही बताया कि  बहुत आसान है,,  जिनके भी *कान बाहर* दिखाई देते हैं *वे सब बच्चे देते हैं*  और जिन जीवों के *कान बाहर नहीं* दिखाई देते हैं  *वे अंडे* देते हैं.... ।। फिर दूसरा प्रश्न पूछा कि–  ये बताइए आप लोगों के सामने एकदम कोई प्राणी आ गया... तो आप कैसे पहचानेंगे की यह *शाकाहारी है या मांसाहारी ?*   क्योंकि आपने तो उसे पहले भोजन करते देखा ही नहीं,  बच्चों में फिर वही कौतूहल और खुसर फ़ुसर की आवाजें.....  शिक्षक ने कहा–  देखो