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शाकाहारी और मांसाहारी ?

[ शाकाहार और मांसाहार पर एक सुंदर लेख ।
*शिक्षक का अदभुत ज्ञान*

*मनुष्य मांसाहारी है या शाकाहारी है....पुरा पढिये*

एक बार एक चिंतनशील शिक्षक ने अपने 10th स्टेंडर्ड के बच्चों से पूछा कि 
आप लोग कहीं जा रहे हैं और 
सामने से कोई कीड़ा मकोड़ा या कोई साँप छिपकली या कोई गाय-भैंस या अन्य कोई ऐसा विचित्र जीव दिख गया, जो आपने जीवन में पहले कभी नहीं देखा हो, तो प्रश्न यह है कि 
आप कैसे पहचानेंगे कि 
वह जीव *अंडे* देता है *या बच्चे* ?  
क्या पहचान है उसकी ?

अधिकांश बच्चे मौन रहे 
जबकि कुछ बच्चों में बस आंतरिक खुसर-फुसर चलती रही...।

मिनट दो मिनट बाद 
फिर उस चिंतनशील शिक्षक ने स्वयम ही बताया कि 
बहुत आसान है,, 
जिनके भी *कान बाहर* दिखाई देते हैं *वे सब बच्चे देते हैं* 
और जिन जीवों के *कान बाहर नहीं* दिखाई देते हैं 
*वे अंडे* देते हैं.... ।।
फिर दूसरा प्रश्न पूछा कि– 
ये बताइए आप लोगों के सामने एकदम कोई प्राणी आ गया... तो आप कैसे पहचानेंगे की यह *शाकाहारी है या मांसाहारी ?*  
क्योंकि आपने तो उसे पहले भोजन करते देखा ही नहीं, 
बच्चों में फिर वही कौतूहल और खुसर फ़ुसर की आवाजें..... 

शिक्षक ने कहा– 
देखो भाई बहुत आसान है,, 
जिन जीवों की *आँखों की बाहर की यानी ऊपरी संरचना गोल होती है, वे सब के सब माँसाहारी होते हैं*,
जैसे-कुत्ता, बिल्ली, बाज, चिड़िया, शेर, भेड़िया, चील या अन्य कोई भी आपके आस-पास का जीव-जंतु जिसकी आँखे गोल हैं वह माँसाहारी ही होगा है, 
ठीक उसी तरह जिसकी *आँखों की बाहरी संरचना लंबाई लिए हुए होती है, वे सब के सब जीव शाकाहारी होते हैं*, 
जैसे- हिरन, गाय, हाथी, बैल, भैंस, बकरी,, इत्यादि। 
इनकी आँखे बाहर की बनावट में लंबाई लिए होती है  .... 

फिर उस चिंतनशील शिक्षक ने बच्चों से पूछा कि-
बच्चों अब ये बताओ कि मनुष्य की आँखें गोल हैं या लंबाई वाली ?

इस बार सब बच्चों ने कहा कि मनुष्य की आंखें लंबाई वाली होती है... 
इस बात पर 
शिक्षक ने फिर बच्चों से पूछा कि 
यह बताओ इस हिसाब से मनुष्य शाकाहारी जीव हुआ या माँसाहारी ??
सब के सब बच्चों का उत्तर था *शाकाहारी* ।

फिर शिक्षक से पूछा कि 
बच्चों यह बताओ कि 
फिर मनुष्य में बहुत सारे लोग मांसाहार क्यों करते हैं ? 
तो इस बार बच्चों ने बहुत ही गम्भीर उत्तर दिया 
और वह उत्तर था कि *अज्ञानतावश या मूर्खता के कारण।*

फिर उस चिंतनशील शिक्षक ने बच्चों को दूसरी बात यह बताई कि 
जिन भी *जीवों के नाखून तीखे नुकीले होते हैं, वे सब के सब माँसाहारी* होते हैं, 
जैसे- शेर, बिल्ली, कुत्ता, बाज, गिद्ध या अन्य कोई तीखे नुकीले नाखूनों वाला जीव.... 
और 
जिन जीवों के *नाखून चौड़े चपटे होते हैं वे सब के सब शाकाहारी* होते हैं,
जैसे-मनुष्य, गाय, घोड़ा, गधा, बैल, हाथी, ऊँट, हिरण, बकरी इत्यादि।

इस हिसाब से भी अब ये बताओ बच्चों कि मनुष्य के नाखून तीखे नुकीले होते हैं या चौड़े चपटे ??

सभी बच्चों ने कहा कि 
चौड़े चपटे,,

फिर शिक्षक ने पूछा कि 
अब ये बताओ इस हिसाब से मनुष्य कौन से जीवों की श्रेणी में हुआ ??
सब के सब बच्चों ने एक सुर में कहा कि *शाकाहारी ।*

फिर शिक्षक ने बच्चों से तीसरी बात यह बताई कि, 
जिन भी *जीवों अथवा पशु-प्राणियों को पसीना आता है, वे सब के सब शाकाहारी* होते हैं,
जैसे- घोड़ा, बैल, गाय, भैंस, खच्चर, आदि अनेकानेक प्राणी... ।
जबकि 
*माँसाहारी जीवों को पसीना नहीं आता है, इसलिए कुदरती तौर पर वे जीव अपनी जीभ निकाल कर लार टपकाते हुए हाँफते रहते हैं* 
इस प्रकार वे अपनी शरीर की गर्मी को नियंत्रित करते हैं.... ।

तो प्रश्न यह उठता है कि 
मनुष्य को पसीना आता है या मनुष्य जीभ से अपने तापमान को एडजस्ट करता है ??

सभी बच्चों ने कहा कि मनुष्य को पसीना आता है, 

शिक्षक ने कहा कि अच्छा यह बताओ कि 
इस बात से भी मनुष्य कौन सा जीव सिद्ध हुआ, सब के सब बच्चों ने एक साथ कहा – 
*शाकाहारी ।*
सभी लोग विशेषकर अहिंसा में, सनातन धर्म, संस्कृति और परम्पराओं में विश्वास करने वाले लोग भी चाहे तो बच्चों को नैतिक-बौधिक ज्ञान देने अथवा सीखने-पढ़ाने के लिए इस तरह बातचीत की शैली विकसित कर सकते हैं, 
इससे जो वे समझेंगे सीखेंगे वह उन्हें जीवनभर काम आएगा... 
याद रहेगा, पढ़ते वक्त बोर भी नहीं होंगे....।

*बच्चे अगर बड़े हो जाएं तो उनको यह भी बताएं कि कैसे शाकाहारी मनुष्य जानकारी के अभाव में मांसाहार का उपयोग करता है और कहता है कि जब अन्न नहीं उपजाया जाता था तब मनुष्य मांसाहार का सेवन करते थे, जो सरासर गलत है तब मनुष्य कंद-मुल एवं फलों पर जीवित रहते थे, जो सही है एवं उसके संरचना और स्वभाव से मेल भी खाता है।
*।। प्रकृति की ओर लौटिये तथा 
ईश्वर, भगवान, प्रभु से सच्चे अर्थों में जुड़िये ।।*
[5/5, 16:57] Vaibhav Jain Jagdalpur: #मांसाहारी - मुँह की लार अम्लीय होती है। (acidic)
शाकाहारी - मुँह की लार क्षारीय होती है। (alkaline)

10. मांसाहारी - पेट की बनावट एक कक्षीय होती है।
शाकाहारी - पेट की बनावट बहुकक्षीय होती है। मनुष्य का पेट दो कक्षीय होता है।

11. मांसाहारी - पेट के पाचक रस बहुत तेज (सान्द्र) होते हैं। शाकारियों के पाचक रसों से 12-15 गुणा तेज होते हैं।
शाकाहारी - शाकाहारियों के पेट के पाचक रस मांसाहारियों के मुकाबले बहुत कम तेज होते हैं। मनुष्य के पेट के पाचक रसों की सान्द्रता शाकाहारियों वाली होती है।

12. मांसाहारी - पाचन संस्थान (मुँह से गुदा तक) की लम्बाई कम होती है। आमतौर पर शरीर लम्बाई का 2.5 - 3 गुणा होती है।
शाकाहारी - पाचन संस्थान की लम्बाई अधिक होती है। प्रायः शरीर की लम्बाई का 5-6 गुणा होती है।

13. मांसाहारी - छोटी आंत व बड़ी आंत की लम्बाई-चैड़ाई में अधिक अन्तर नहीं होता।
शाकाहारी - छोटी आंत चैड़ाई में काफी कम और लम्बाई में बड़ी आंत से काफी ज्यादा लम्बी होती है।

14. मांसाहारी - इनमें कार्बोहाईड्रेट नहीं होता, इस कारण मांसाहारियों की आंतों में किण्वन बैक्टीरिया (Fermentation bacteria) नहीं होते हैं।
शाकाहारी - इनकी आंतों में किण्वन बैक्टीरिया (Fermentation bacteria) होते हैं, जो कार्बोहाइडेªट के पाचन में सहायक होते हैं।

15. मांसाहारी - आंते पाईपनुमा होती है अर्थात् अन्ददर से सपाट होती हैं।
शाकाहारी - आंतों में उभार व गड्ढे (grooves) अर्थात् अन्दर की बनावट चूड़ीदार होती है।

16. मांसाहारी - इनका लीवर वसा और प्रोटीन को पचाने वाला पाचक रस अधिक छोड़ता है। पित को स्टोर करता है। आकार में बड़ा होता है।
शाकाहारी - इनके लीवर के पाचक रस में वसा को पचाने वाले पाचक रस की न्यूनता होती है। पित को छोड़ता है। तुलनात्मक आधार में छोटा होता है।

17. मांसाहारी - पैंक्रियाज (अग्नाशय) कम मात्रा में एन्जाईम छोड़ता है।
शाकाहारी - मांसाहारियों के मुकाबले अधिक मात्रा में एन्जाईम छोड़ता है।

18. मांसाहारी - खून की प्रकृति अम्लीय (acidic) होती है।
शाकाहारी - खून की प्रकृति क्षारीय (alkaline) होती है।

19. मांसाहारी - खून (blood) के लिपो प्रोटीन एक प्रकार के हैं, जो शाकाहारियों से भिन्न होते हैं।
शाकाहारी - मनुष्य के खून के लिपो प्रोटीन (Lipo - Protein) शाकाहारियों से मेल खाते हैं।

20. मांसाहारी - प्रोटीन के पाचन से काफी मात्रा में यूरिया व यूरिक अम्ल बनता है, तो खून से काफी मात्रा में यूरिया आदि को हटाने के लिये बड़े आकार के गुर्दे (Kidney) होते हैं।
शाकाहारी - इनके गुर्दें मांसाहारियों की तुलना में छोटे होते हैं।

21. मांसाहारी - इनमें (रेक्टम) गुदा के ऊपर का भाग नहीं होता है।
शाकाहारी - इनमें रेक्टम होता है।

22. मांसाहारी - इनकी रीढ़ की बनावट ऐसी होती है कि पीठ पर भार नहीं ढो सकते।
शाकाहारी - इनकी पीठ पर भार ढो सकते हैं।

23. मांसाहारी - इनके नाखून आगे से नुकीले, गोल और लम्बे होते हैं।
शाकाहारी - इनके नाखून चपटे और छोटे होते हैं।

24. मांसाहारी - ये तरल पदार्थ को चाट कर पीते हैं।
शाकाहारी - ये तरल पदार्थ को घूंट भर कर पीते हैं।

25. मांसाहारी - इनको पसीना नहीं आता है।
शाकाहारी - इनको पसीना आता है।

26. मांसाहारी - इनके प्रसव के समय (बच्चे पैदा करने में लगा समय) कम होता है। प्रायः 3-6 महिने।
शाकाहारी - इनके प्रसव का समय मांसाहारियों से अधिक होता है। प्रायः 6 महिने से 18 महिने।

27. मांसाहारी - ये पानी कम पीते हैं।
शाकाहारी - ये पानी अपेक्षाकृत ज्यादा पीते हैं।

28. मांसाहारी - इनके श्वांस की रफ्तार तेज होती है।
शाकाहारी - इनके श्वांस की रफ्तार कम होती है, आयु अधिक होती है।

29. मांसाहारी - थकने पर व गर्मी में मुँह खोल कर जीभ निकाल कर हाँफते हैं।
शाकाहारी - मुँह खोलकर नहीं हाँफते और गर्मी में जीभ बाहर नहीं निकालते।

30. मांसाहारी - प्रायः दिन में सोते हैं, रात को जागते व घूमते-फिरते हैं।
शाकाहारी - रात को सोते हैं, दिन में सक्रिय होते हैं।

31. मांसाहारी - क्रूर होते हैं, आवश्यकता पड़ने पर अपने बच्चे को भी मार कर खा सकते हैं।
शाकाहारी - अपने बच्चे को नहीं मारते और बच्चे के प्रति हिंसक नहीं होते।

32. मांसाहारी - दूसरे जानवर को डराने के लिए गुर्राते हैं।
शाकाहारी - दूसरे पशु को डराने के लिए गुर्राते नहीं।

33. मांसाहारी - इनके ब्लड में रिस्पटरों की संख्या अधिक होती है, जो ब्लड में कोलेस्ट्राॅल को नियन्त्रित करते हैं।
शाकाहारी - इनके ब्लड में रिस्पटरों की संख्या कम होती है। मनुष्य के ब्लड में भी संख्या कम होती है।

34. मांसाहारी - ये किसी पशु को मारकर उसका मांस कच्चा ही खा जाते हैं।
शाकाहारी - मनुष्य जानवर को मारकर उसका कच्चा मांस नहीं खाता।

35. मांसाहारी - इनके मल-मूत्र में दुर्गन्ध होती है।
शाकाहारी - इनके मल-मूत्र में दुर्गन्ध नहीं होती (मनुष्य यदि शाकाहारी है और उसका पाचन स्वस्थ है, तो मनुष्य के मल-मूत्र में भी बहुत कम दुर्गन्ध होती है।)

36. मांसाहारी - इनके पाचन संस्थान में पाचन के समय ऊर्जा प्राप्त करने के लिये अलग प्रकार के प्रोटीन उपयोग में लाये जाते हैं, जो शाकाहारियों से भिन्न हैं।
शाकाहारी - इनके ऊर्जा प्राप्ति के लिये भिन्न प्रोटीन प्रयोग होते हैं।

37. मांसाहारी - इनके पाचन संस्थान, जो एन्जाइम बनाते हैं, वे मांस का ही पाचन करते हैं।
शाकाहारी - इनके पाचन संस्थान, जो एन्जाइम बनाते हैं, वे केवल वनस्पतिजन्य पदार्थों को ही पचाते हैं।

38. मांसाहारी - इनके शरीर का तापमान कम होता है, क्योंकि मांसाहारियों का BMR (Basic Metabolic Rate) शाकाहारियों से कम होता है।
शाकाहारी - मनुष्य के शरीर का तापमान शाकाहारियों के आस-पास होता है।

39. मांसाहारी - दो बर्तन लें, एक में मांस रख दें और दूसरे में शाकाहार रख दें, तो मांसाहारी जानवर मांस को चुनेगा।
शाकाहारी - मनुष्य का बच्चा शाकाहार को चुनेगा।

उपर्युक्त तथ्यों के अनुसार मनुष्य शरीर की बनावट बिना किसी अपवाद के शत-प्रतिशत शाकाहारी शरीरों की बनावट से मेल खाती है और भोजन को बनावट के अनुसार निश्चित किया जाता है, तो मनुष्य का भोजन शाकाहार है, मांसाहार कतई नहीं। हमें निश्चिन्त होकर शाकाहार करना चाहिये और मांसाहार से होने वाली अनेक प्रकार की हानियों से बचना चाहिये।

शाकाहार में मानव का कल्याण है और मांसाहार विनाशकारी है। प्राकृतिक सिद्धान्त की उपेक्षा करके होने वाले विनाश से बचने का कोई मार्ग नहीं है।

✍️ डाॅ. भूपसिंह, रिटायर्ड एसोशिएट प्रोफेसर, भौतिक विज्ञान
भिवानी (हरियाणा)

#Vaidic_Physics

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