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Showing posts from May, 2023

पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ जोशी ने प्रो फूलचंद प्रेमी जी को दिया ऋषभदेव सम्मान

*पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ जोशी ने प्रो फूलचंद प्रेमी जी को दिया ऋषभदेव सम्मान* पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी जी ने मां श्री कौशल जी के सान्निध्य में 25-26 मई को आयोजित राष्ट्रीय विद्वत्संगोष्ठी एवं स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर ऋषभांचल,गाज़ियाबाद में वाराणसी के राष्ट्रपति सम्मानित प्रो फूलचंद जैन प्रेमी जी को भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित उनकी महत्त्वपूर्ण कृति 'श्रमण संस्कृति और वैदिक व्रात्य' के  लिए संस्था के सबसे बड़े पुरस्कार ऋषभदेव पुरस्कार से सम्मानित किया । डॉ जोशी ने उस पुस्तक को मंच पर ही पढ़ा और लेखक को हार्दिक बधाई दी ।  संस्था के अध्यक्ष श्री जीवेंद्र जैन जी ने कहा कि प्रो प्रेमी जी ने जो शोध कार्य किया है वह अद्वितीय है तथा इतिहास के नए तथ्यों को उजागर करता है । पुरुस्कार प्रदान करने वाले श्री हेमचंद जैन,दिल्ली ने कहा कि प्रो प्रेमी जी ने स्वयं तो श्रुत सेवा की ही है साथ ही अपने पूरे परिवार को भारतीय संस्कृति ,इतिहास,भाषा,दर्शन एवं पुरातत्व के क्षेत्र में सेवा हेतु प्रशिक्षित किया है । इनकी धर्म पत्नी डॉ मुन्नीपुष्पा जैन ब्राह्मी लि

नवीन संसद के उद्घाटन में गूँजेगा जैन धर्म

नवीन संसद भवन के उद्घाटन समारोह में डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव करेंगी "जैन धर्म" का प्रतिनिधित्व माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सानिध्य में दिल्ली में आयोजित  "नवीन संसद भवन" के ऐतिहासिक उद्घाटन समारोह में 28 मई 2023 को सुबह 9 बजे से 9.30 तक आयोजित "सर्वधर्म प्रार्थना सभा" में जैनधर्म का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व करते हुए डॉ० इन्दु जैन राष्ट्र गौरव जन-जन के कल्याण के लिए विशेष प्रार्थनाएं करेंगीं। आप जैनदर्शन, प्राकृत भाषा के प्रसिद्ध विद्वान प्रो. फूलचन्द जैन 'प्रेमी' एवं विदुषी डॉ. मुन्नी पुष्पा जैन,वाराणसी की सुपुत्री तथा समाजसेवी श्री राकेश जैन की धर्मपत्नी हैं। आप जैनधर्म-दर्शन-संस्कृति, प्राकृत-संस्कृत-हिन्दी-अपभ्रंश भाषा एवं साहित्य, ब्राह्मी लिपि, शाकाहार तथा भारतीय संस्कृति के संरक्षण-संवर्धन के लिए राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय रूप में निरंतर प्रचार-प्रसार का कार्य कर रहीं हैं। डॉ. इन्दु को अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। ज्ञातव्य है कि आपने नवीन संसद भवन के भूमि पूजन पर भी जैन धर्म का गौरवपूर्ण प्रतिनिधित्व

श्रुत की रचना (श्रुतावतार)

*श्रुत की रचना (श्रुतावतार)* 🌴🌴🌴🌴🌴🌴🌴 प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ला पंचमी को जैन समाज में, श्रुतपंचमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन षटखण्डागम की रचना पूर्णं होकर उन सूत्रों को पुस्तक बद्ध किया और ज्येष्ठ सुदी पंचमी के दिन चतुर्विध संघ सहित कृतिकर्म पूर्वक महापूजा की।इसी पंचमी का नाम "श्रुतपंचमी’ नाम प्रसिद्ध हो गया"। इस पर्व को मनाने के पीछे एक इतिहास है, कि श्रुत की रचना कैसे हुई जो निम्नलिखित है- 🕳️🕳️🕳️🕳️🕳️🕳️🕳️🕳️🕳️🕳️🕳️ श्री वर्द्धमान जिनेन्द्र के मुख से श्री इन्द्रभूति (गौतम) गणधर ने श्रुत को धारण किया। उनसे सुधर्माचार्य ने और उनसे जम्बूस्वामी नामक अंतिम केवली ने ग्रहण किया।  *०१)* इन्द्रभूति गौतम,  १२ वर्ष    ००-१२ *०२)* सुधर्माचार्य जी,   १२ वर्ष,   १२-२४ *०३)* जम्बुस्वामी जी,   ३८ वर्ष,   २४-६२ *भगवान महावीर स्वामी के पश्चात ६२ वर्ष तक तीन अनुबद्ध केवली हुए* सबसे अंतिम केवली श्रीधर स्वामी हुए जो कुण्डलपुर से निर्वाण को प्राप्त हुए ▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️▪️ *पश्चात १०० वर्ष में* *फिर अगले सौ वर्षो मे ये पाँच श्रुतकेवली हुए* *०४)* विष्णु (विश्वनन्दी) जी, १४ वर्ष, ६२-७६