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Showing posts from July, 2024

वस्तुपाल जैन तेजपाल जैन की गौरव गाथा

वस्तुपाल तेजपाल की गौरव गाथा । जैन धर्म की गौरव गाथाओं की बात करे और वस्तुपाल तेजपाल की बात न हो तो वह अधूरी मानी जाती है इसे धर्मकर्ता जिनआज्ञां पलक वस्तुपाल तेजपाल दोनों भाइयो ने जैन धर्म के प्रति बहुत ही अद्भुत कार्य किये जिन्हें बताते हुए हमें बहुत ही हर्ष महसूस होता है । 1300 शिखरबद्ध जिनालय बनाए । 3 लाख द्रव्य खर्च करके शत्रुंजय पर तोरण बांधा । 3202 जिनमन्दिर के जीर्णोद्धार करवाए । वर्ष में तीन बार संघ पूजा तथा साधर्मिक वात्सल्य करते थे । 105000 जिन प्रतिमा भरवाई । 984 पौशाधशालाएं बनवाई । 1000 सिंहासन महात्माओं के लिए करवाए । 702 धर्मशालाएं बनवाई । 1000 दानशालाएं बनवाई । 35 लाख द्रव्य खर्च करके खंभात में ज्ञान भंडार बनवाए । 400 पानी की परब बनवाई । 500 सिंहासन हाथी दांत के बनवाए । 700 पाठशालाएं पढ़ने के लिए बनवाई । 12 बार शत्रुंजय जी तीर्थ पर संघ ले गए । 1000 बार संघ पूजा की । 🙏 जय जिनेन्द्र 🙏

भारत के 25 प्राचीन विश्वविद्यालय.

प्राचीन भारत में शिक्षा और ज्ञान का एक विशाल इतिहास है। हमारे प्राचीन भारत के 25 प्राचीन विश्वविद्यालय... दुनिया भर से हजारों प्रोफेसर और लाखों छात्र यहां रहते थे और कई विज्ञानों और विषयों का अध्ययन और अध्यापन करते थे। यहाँ पर कुछ प्रमुख प्राचीन विश्वविद्यालयों की जानकारी दी जा रही है: 1.नालंदा विश्वविद्यालय (Nalanda University): स्थान: बिहार स्थापना: 5वीं शताब्दी ईस्वी विशेषता: यह बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र था और इसमें विभिन्न विज्ञान, दर्शन, और धर्म का अध्ययन किया जाता था। यहाँ पर 10,000 छात्र और 2,000 शिक्षक थे। 2.तक्षशिला विश्वविद्यालय (Taxila University): स्थान: पाकिस्तान स्थापना: 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व विशेषता: यह भारत का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय माना जाता है। यहाँ पर चिकित्सा, कानून, कला, सैन्य विज्ञान आदि की शिक्षा दी जाती थी। 3.विक्रमशिला विश्वविद्यालय (Vikramshila University): स्थान: बिहार स्थापना: 8वीं शताब्दी ईस्वी विशेषता: यह भी बौद्ध शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। 4.ओदंतपुरी विश्वविद्यालय (Odantapuri University): स्थान: बिहार स्थापना: 8वीं शताब्दी ईस्वी विशेषता: बौद्ध श

जैन धर्म: बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक

जैन धर्म: बहुसंख्यक से अल्पसंख्यक 7 मयूर मल्लिनाथ वग्याणी, सांगली, महाराष्ट्र + 91 9422707721 जैन धर्म सबसे पुराना धर्म है. प्राचीन भारत में जम्बूद्वीप-भरत क्षेत्र की स्थापना आदिनाथ के पुत्र चक्रवर्ती भरत ने की थी और उन्हीं से हमारे देश का नाम भारत पड़ा. उस समय जैन धर्म पूरे भारत में फैला हुआ था। जैन धर्म के उत्थान और पतन में राजाश्रय ही मुख्य कारण था.  तो सवाल उठता है कि इतना बड़ा जैन समाज अचानक कहां चला गया? जैन धर्म के पतन का कारण क्या है मूलतः जैन समाज का पतन आठवीं-नौवीं शताब्दी में प्रारम्भ हुआ. इसे भक्ति आंदोलन के नाम से शंकराचार्य (7वीं शताब्दी) ने शुरू किया था. हाजारों जैनियों और बौद्धों का नरसंहार किया गया.  बाद के समय में कुमारिल भट्ट (8वीं शताब्दी), रामानुजाचार्य (11वीं शताब्दी), महादेवाचार्य (13वीं शताब्दी) ने आक्रामक रूप से अपने वैदिक धर्म का विस्तार करना शुरू कर दिया. बाद में राजाओंको धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर किया गया .  जैसे ही राजा ने अपना धर्म बदला, प्रजा भी डर के मारे अपना मूल जैन धर्म छोड़कर वैदिक धर्म में प्रवेश कर गयी. हजारों जैन मंदिरों को शैव औ