*गहोई समाज सत्य के आलोक में* - गौरव जैन gouravj132@gmail.com भारत के इतिहास को पीछे मुड़कर देखते हैं तो उसके कई उजले पक्ष सामने आते हैं जिनकी आज हमें कोई खबर नहीं है, इतिहासविद् भी उन पक्षों से अपरिचित से मालूम पड़ते हैं,ऐसा ही इतिहास है गहोई समाज का। बुंदेलखंड-चंबल क्षेत्र के गांवों-कस्बों में व्यापार व कृषि रुप उत्तम अहिंसक आजीविका के माध्यम से अपना जीवन निर्वाह करने वाली यह जाति आज अपने मूल मार्ग से इस कदर दूर हो गई है अब मूल केवल इनके द्वारा बनवाए मंदिर और मूर्तियों में बचा है। बुंदेलखंड क्षेत्र जैन-धर्म का अति प्राचीन क्षेत्र है,यहां कई अतिप्राचीन सिद्धक्षेत्र,अतिशय क्षेत्र,जिनालय है जो प्रागैतिहासिक काल से जैनधर्म की यशोगाथा गा रहे हैं, जिनमें द्रोणगिरि,नैनागिरि,नवागढ़,आहार आदि प्रमुख हैं। गहोई समाज मूलतः जैन-धर्म अनुयायी समाज रहा है,इस समाज ने प्राचीन काल में जैन-धर्म के उत्थान में बहुत भूमिका निभाई है,भारत के सबसे पुराने वैश्यों(व्यापारियों) में ...