चित्र : छाला गॉंव के जैन मंदिर में विराजमान स्फटिक मणि की तीर्थंकर ऋषभदेव की प्राचीन प्रतिमा (चैतन्यधाम ,अहमदाबाद के पास) २१ वी शताब्दी का धर्म होगा : जैन धर्म !*_ _*लेखक : श्री मुजफ्फर हुसैन, मुंबई !*_ _*हम यहां कर्मकांड के रूप में नहीं, बल्कि दर्शन के आधार पर यह कहना चाहेंगे कि २१ वीं शताब्दी का धर्म जैन धर्म होगा ! इसकी कल्पना किसी सामान्य आदमी ने नहीं की है बल्कि ज्योर्ज़ बर्नार्ड शा ने कहा है कि यदि मेरा दूसरा जन्म हो तो मैं जैन धर्म में पैदा होना चाहता हूॅं ।*_ _*रेवरेंड तो यहाॅं तक कहता हैं कि दुनिया का पहला मजहब जैन था । और अंतिम मजहब भी जैन होगा । बार्ल्ट यू एस एस के दार्शनिक मोराइस का तो यहां तक कहना है कि यदि जैन धर्म को दुनिया ने अपनाया होता तो यह दुनिया और भी बड़ी खूबसूरत होती ।*_ _*जैन धर्म.... धर्म नहीं जीने का दर्शन है । सरल भाषा में मैं कहूॅं तो यह खुला विश्वविद्यालय है । आपको जीवन का जो पहलू चाहिए वह यहाॅं मिल जाएगा । दर्शन ही नहीं बल्कि संस्कृति, कला, संगीत एवं भाषा का यह अद्भूत संगम है। जैन तीर्थंकरोंने संस्कृत को अपनाकर पाली और प्राकृत, अर्ध-मागधी,...