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The meaning of being 'Rāma'


The meaning of being 'Rāma' from the spiritual point of view - An independent reflection ✍️ (short note)

“Rāma Nāma Satya Hai” . This is the eternal truth undoubtedly, But today we have changed the meaning of this sentence because it is traditionally uttered in the funeral procession; whereas Rāma is not the name of mortality, Rāma is the name of immortality. Kabirdas ji has said - Soul and Rāma are one. On this basis, if we look at Rāma from the point of view of the literal meaning of the word, instead of taking it as a person, then we can also call Rāma a synonym for the soul. 

It is said in the Brahmavaivarta Purana – “Rāma Śabdo Vishwavachano, mashwāpishwar vāchakah”...That means the word ‘Ra’ signifies ‘paripurnata’ (completeness) and ‘Ma’ signifies ‘parameshwara’ (a super being or the deity). On consideration, the essence of that - the one who is full of infinite attributes cannot be anything other than the ‘Soul’, and that soul only have an ability to become the Supreme Soul. Similarly, it has been said – “Ramate yogito yasmin sa Rāmah”, that is, the one in whom Yogis rejoice is Rāma. And we all know that for the sake of self-welfare, true Yogis rejoice only in the soul (ātmā mein Ramana), So on this basis, we can also say that the one who delights in the soul means ‘Rāma'. Therefore, anyone can imbibe Rāma if he wishes, because the soul resides in all living beings, That's why we say - “Rom Rom Mein Rāma”  (Rāma in every pore).

- Dr. Arihant

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