यदि आप मांस का भोजन करते हैं, तो यह मनुष्यता से बाहर है. क्योंकि आप जिस भी प्राणी का मांस खायेंगे, वह प्राणी भी किसी न किसी की तो संतान होगा ही. क्या हम अपनी संतान को मार कर खा सकते हैं ? यदि नहीं, तो हमें दूसरे की संतान को मार कर खाने का क्या अधिकार है ? क्या मानव अधिकार आयोग सिर्फ मानवों के अधिकार की ही रक्षा के लिए बना है ? क्या पशु पक्षियों के अधिकारों की रक्षा की चिंता उसको नहीं करनी चाहिए. क्या पशु पक्षियों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई आयोग बनाने की हिम्मत करेगा ? सम्पूर्ण मानवता की ओर से स्वागत है उन महापुरुषों का, जो पशु पक्षियों के अधिकारों की रक्षा के लिए आयोग बनायेंगे.
9 अप्रैल 2025 विश्व नवकार सामूहिक मंत्रोच्चार पर विशेष – *णमोकार महामंत्र के 9 रोचक तथ्य* डॉ.रूचि अनेकांत जैन प्राकृत विद्या भवन ,नई दिल्ली १. यह अनादि और अनिधन शाश्वत महामन्त्र है ।यह सनातन है तथा श्रुति परंपरा में यह हमेशा से रहा है । २. यह महामंत्र प्राकृत भाषा में रचित है। इसमें कुल पांच पद,पैतीस अक्षर,अन्ठावन मात्राएँ,तीस व्यंजन और चौतीस स्वर हैं । ३. लिखित रूप में इसका सर्वप्रथम उल्लेख सम्राट खारवेल के भुवनेश्वर (उड़ीसा)स्थित सबसे बड़े शिलालेख में मिलता है । ४. लिखित आगम रूप से सर्वप्रथम इसका उल्लेख षटखंडागम,भगवती,कल्पसूत्र एवं प्रतिक्रमण पाठ में मिलता है ५. यह निष्काम मन्त्र है । इसमें किसी चीज की कामना या याचना नहीं है । अन्य सभी मन्त्रों का यह जनक मन्त्र है । इसका जाप 9 बार ,108 बार या बिना गिने अनगिनत बार किया जा सकता है । ६. इस मन्त्र में व्यक्ति पूजा नहीं है । इसमें गुणों और उसके आधार पर उस पद पर आसीन शुद्धात्माओं को नमन किया गया है...
Comments
Post a Comment