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Showing posts from June, 2023

जीव प्रेम ही ईश्वर प्रेम है

#जीव_प्रेम_ही_ईश्वर_प्रेम_है... माँसाहार कोई भोजन नहीं होता, वो किसी का माँस है, किसी का शरीर है। उसको आप भोजन तब ही बोल सकते हैं,जब आपने किसी प्राणी से मुहब्बत की ही न हो। तुम नॉन-वेज फ़ूड क्यों बोलते हो, सीधे जानवर का माँस क्यों नहीं बोलते? क्योंकि ऐसे बोलोगे तो तुम्हारी बर्बरता, तुम्हारी क्रूरता साफ़ सामने आ जाएगी।  क्यों बोलते हो कि आज नॉन-वेज खाने का मन है, सीधे बोलो न कि आज किसी की जान लेने का मन है। पर ये बात बोलोगे तो तुम्हें खुद ही अच्छा नहीं लगेगा।  पशुओं से क्या, इंसानों से भी प्रेम नहीं है। तुम्हें कभी किसी से भी सच्ची मुहब्बत हो जाए, तब तुम उसका माँस नहीं खा पाओगे। मुहब्बत छोड़ दो, तुम्हें मोह भी हो जाएगा तो तुम्हारे लिए माँस खाना मुश्किल हो जाएगा। इसीलिए दुनिया का कोई भी देश हो, वहाँ स्त्रियाँ माँस कम खाती हैं, भले ही वो प्रेम जानती हो या नहीं पर मोह-ममता तो जानती हैं। मोह-ममता तक में इतनी ताक़त होती है कि तुम्हें माँस नहीं खाने देती, तो सोचो प्रेम में कितनी ताक़त होगी। कभी किसी जानवर से दोस्ती कर के देखो, फिर किसी भी जानवर को मारना तुम्हारे लिए असंभव हो ज...

बकरीद कैसे मुबारक ?

🦌🐂🐪 _*कटा इस कदर एक बेजुबान*_ _*और खून सारा नाली में बह गया*_ _*पत्थरदिल था कोई जो बहते खून को*_ _*देख कर भी "ईद मुबारक " कह गया*_ _*कहीं पानी बहाना भी गुनाह-सा हो जाता है ...*_ _*और कहीं खून बहाने पर भी मुबारकबाद देते हैं*_ _*जो कत्ल करे गाय और भैंस का*_ _*उस का मुकम्मल ईमान हो गया ...*_ _*हिन्दू पानी और पटाखों से ही बदनाम हो गया !*_ _*फर्क है तेरे मजहब और मेरे धर्म में ...*_ _*तेरे यहाँ चाँद देख कर कत्ल किये जाते हैं ...*_ _*मेरे यहाँ  चाँद देख कर लंबी उम्र चाही जाती है*_ 😰😰😰😰😰😰😰😰😰😰😰😰

क्या है जैन धर्म- दर्शन का अनेकांतवाद- स्याद्वाद ?

क्या है जैन धर्म- दर्शन का अनेकांतवाद- स्याद्वाद ?           – प्रो. फूलचंद जैन प्रेमी, वाराणसी अनेकांत और स्याद्वाद सिद्धांत जैन दर्शन का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारतीय ज्ञान परंपरा का प्राण है । भारत की सभी चिंतन परम्पराओं पर इसका व्यापक प्रभाव स्पष्ट दिखलाई देता है ।  किन्तु भारतीय दार्शनिक जगत् में प्राचीन काल से लेकर अब तक कुछ विद्वानों के मन में इन दो सिद्धान्तों को आग्रह रहित होकर गंभीरता से न  समझ पाने के कारण इनके विषय में आशंकायें बनती रहीं हैं। जबकि यथार्थ यह है कि यदि इन्हें और इनकी मूल  भावनाओं को विशाल हृदय की उदारता, गंभीरता और आग्रह रहित बुद्धि से समझने का प्रयास करें, तो इनकी सार्वभौमिक उपयोगिता से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेंगे।  अनेकांत दर्शन की व्यापकता  -      जैन धर्म- दर्शन ने जिस तरह  विश्वकल्याण के लिए अहिंसा सिद्धान्त को महत्वपूर्ण बतलाया है, उसी तरह दार्शनिक क्षेत्र में उदारता से काम लेते हुए वस्तु को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने और विचार करने के लिए प्रेरित किया और निष्पक्ष होकर विषय ...

अनेकांत और स्याद्वाद के व्यावहारिक सूत्र

अनेकांत और स्याद्वाद के व्यावहारिक सूत्र  प्रो फूलचंद जैन प्रेमी      जैन दर्शन ने तत्त्वज्ञान के सम्बन्ध में उदारता से काम लेते हुए वस्तु को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखने और विचार करने के लिए प्रेरित किया और निष्पक्ष होकर वस्तु का पूर्णज्ञान प्राप्त करने का अवसर प्रदानकर धार्मिक,राजनैतिक तथा सम्प्रदायवाद आदि विविध क्षेत्रों के विवादों से उत्पन्न संघर्षों को दूरकर सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया है।    जिस तरह जैनधर्म ने विश्वकल्याण के लिए अहिंसा सिद्धान्त को महत्वपूर्ण बतलाया है, उसी तरह विभिन्न राष्ट्रीय,अंतर्राष्ट्रीय,धार्मिक,दार्शनिक, सामाजिक, राजनैतिक,पारिवारिक तथा अन्य मत-मतान्तरों के पारस्परिक वाद-विवादों को दूर करने के लिए उसने अनेकान्तवाद और स्याद्वाद जैसे अनुपम सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है।  जीवन व्यवहार की समता तथा अहिंसा की साधना में अनेकान्त का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह तीर्थंकर महावीर  ने अनेकांत के रूप में एक नूतन  और मौलिक दृष्टि प्रदान की  है।     अनेकान्त को 'अनेक' और 'अंत'–इन द...

प्याज़ खाना क्यों मना?

प्याज़ खाना क्यों मना? कुछ मान्यताएं और वास्तविकताएं: शाकाहार होने तथा चिकित्सीय गुण होने के बावजूद साधकों हेतु प्याज-लहसुन वर्जित क्यों है.......??? *1) एक बार प्याज़-लहसुन  खाने का प्रभाव देह में 27 दिनों तक रहता है,और उस दौरान व्यक्ति यदि मर जाये तो नरकगामी होता है!ऐसा शास्त्रों में लिखा है!* *2) प्याज़ का सेवन करने से 55 मर्म-स्थानों में चर्बी जमा हो जाती है, जिसके फलस्वरूप शरीर की सूक्ष्म संवेदनाएं नष्ट हो जाती हैं!* 3) भगवान के भोग में, नवरात्रि आदि व्रत-उपवास में ,तीर्थ यात्रा में ,श्राद्ध के भोजन में और विशेष पर्वों पर प्याज़-लहसुन युक्त भोजन बनाना निषिद्ध है, जिससे समझ में आ जाना चाहिए कि प्याज-लहसुन दूषित वस्तुएं हैं!  4)कुछ देर प्याज़ को बगल में दबाकर बैठने से बुखार चढ़ जाता है! प्याज काटते समय ही आंखों में आंसू आ जाते हैं, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि शरीर के भीतर जाकर यह कितनी अधिक हलचल उत्पन्न करता होगा!?! *5) हवाई-जहाज चलाने वाले 👉पायलटों को जहाज चलाने के 72 घंटे पूर्व तक प्याज़ का सेवन ना करने का परामर्श दिया जाता है, क्योंकि प्याज़ खाने से तुरंत प्रतिक्र...

ग्रंथ पंचाध्यायी कैसे सामने आया ?

*गुरुणां गुरु श्रीमान् पण्डित गोपालदासजी बरैय्या का पंचाध्यायी के सर्वप्रथम प्रकाशन से सम्बन्ध* तथा *यह ग्रन्थराज पठन पाठन में कैसे आया ?* : *उक्त दोनों का संक्षिप्त इतिहास*      गुरुवर! (श्रीमान् पण्डित गोपालदासजी बरैया) जैन समाज में तो आप सर्वमान्य मुकुट थे ही, पर अन्य विद्वत्समाज में भी आपका प्रतिभामय प्रखर पाण्डित्य प्रख्यात था। आपके उद्देश्य बहुत उदार थे .....         ऐसे समय में जब कि उच्चतम कोटि के सिद्धान्त ग्रंथों के पठन-पाठन का मार्ग रुका हुआ था, आपने अपने असीम पौरुष से उन ग्रंथों के मर्मी १५-२० गण्यमान्य विद्वान् भी तैयार कर दिये, इतना ही नहीं; किन्तु न्याय-सिद्धान्त-विज्ञता का प्रवाह बराबर चलता रहे – इसके लिये मोरेना में एक विशाल जैन सिद्धान्त विद्यालय भी स्थापित कर दिया, जिससे कि प्रतिवर्ष सिद्धान्तवेत्ता विद्वान् निकलते रहते हैं।        *जैनधर्म की वास्तविक उन्नति का मूल कारण यह आपकी (प्रिय) कृति (पंचाध्यायी) जैन समाज के हृदय-मन्दिर पर सदा अंकित रहेगी।*        *पंचाध्यायी,* एक अपूर्व सिद्धान्त ...