आचार्य वादीभसिंह कृत क्षत्रचूड़ामणि ग्रन्थ से संकलित सूक्ति संग्रह अ सूक्ति अर्थ १. अकुतोभीतिता भूमेर्भूपानामाज्ञयान्यथा।३/४२ ॥ राजाओं की आज्ञा से भूमण्डल पर कहीं से भी भय नहीं रहता। २. अङ्गजायां हि सूत्यायामयोग्यं कालयापनम् ।।३/३८ ।। कन्या के जवान हो जाने पर विवाह के बिना काल बिताना अनुचित है। ३. अङ्गार सदृशी नारी नवनीत समा नराः ।।७/४१ ।। स्त्री अंगारे के समान तथा पुरुष मक्खन के समान हैं। ४. अजलाशयसम्भूतममृतं हि सतां वचः ।।२/५१ ।। सज्जनों के वचन जलाशय के बिना ही उत्पन्न हुए अमृत के समान हैं। ५. अञ्जसा कृत पुण्यानां न हि वाञ्छामि वञ्चिता ।।८/६७।। सच्चे पुण्यवान पुरुषों की इच्छा भी विफल नहीं होती। ६.अतर्क्यं खलु जीवानामर्थसञ्चय कारणम् ।।३/१२।। मनुष्यों के धन संचय का कारण कल्पनातीत है। ७. अतर्क्यसम्पदापद्भ्यां विस्मयो हि विशेषतः ।।१०/४६।। अकस्मात् सम्पत्ति और विपत्ति के आने से विशेषरूप से आश्चर्य होता है। ८.अत्यक्तं मरणं प्राणैः प्राणिनां हि दरिद्रता ।।३/६ । दरिद्रता मनुष्य के लिए प्राणों के निकले बिना ही जीवित मरण है। ९. अत्युत्कटो हि रत्नांशुस्तज्ज्ञवेकटकर्मणा ।।११/८४ ।। चमकदार रत्न को...