*१. केवलज्ञान बुद्धि ऋद्धि -* सभी द्रव्यों के समस्त गुण एवं पर्यायें एक साथ देखने व जान सकने की शक्ति । *२. मन:पर्ययज्ञान बुद्धि ऋद्धि -* अढ़ार्इ द्वीपों के सब जीवों के मन की बात जान सकने की शक्ति । *३. अवधिज्ञान बुद्धि ऋद्धि -* द्रव्य, क्षेत्र, काल की अवधि (सीमाओं) में विद्यमान पदार्थो को जान सकने की शक्ति । *४. कोष्ठ बुद्धि ऋद्धि -* जिसप्रकार भंडार में हीरा, पन्ना, पुखराज, चाँदी, सोना आदि पदार्थ जहाँ जैसे रख दिए जावें, बहुत समय बीत जाने पर भी वे जैसे के तैसे, न कम न अधिक, भिन्न-भिन्न उसी स्थान पर रखे मिलते हैं; उसीप्रकार सिद्धान्त, न्याय, व्याकरणादि के सूत्र, गद्य, पद्य, ग्रन्थ जिस प्रकार पढ़े थे, सुने थे, पढ़ाये अथवा मनन किए थे, बहुत समय बीत जाने पर भी यदि पूछा जाए, तो न एक भी अक्षर घटकर, न बढ़कर, न पलटकर, भिन्न-भिन्न ग्रन्थों को उसीप्रकार सुना सकें ऐसी शक्ति । *५. एक-बीज बुद्धि ऋद्धि -* ग्रन्थों के एक बीज (अक्षर, शब्द, पद) को सुनकर पूरे ग्रंथ के अनेक प्रकार के अर्थो को बता सकने की शक्ति । *६. संभिन्न संश्रोतृत्व बुद्धि ऋद्धि -* बारह योजन लम्बे नौ योजन चौड़े क्षेत्र में ठ...