*आत्मजयी महावीर*
-आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी,
“जिन तपःपुनीत महात्माओं पर भारतवर्ष उचित गर्व कर सकता है, जिनके महान् उपदेश हजारों वर्ष की कालावधि को चीरकर आज भी जीवन्त प्रेरणा का स्रोत बने हुये हैं, उनमें महावीर अग्रगण्य हैं । उनके पुण्य स्मरण से हम निश्चित रूप से गौरवान्वित होते हैं।...भगवान महावीर जैसा चरित्रसम्पन्न, जितेन्द्रिय, आत्मवशी महात्मा मिलना मुश्किल है। सारा जीवन उन्होंने आत्मसंयम और तपस्या में बिताया। उनके समान दृढ़ संकल्प के आत्मजयी महात्मा बहुत थोड़े हुये हैं। उनका मन, वचन और कर्म एक दूसरे के साथ पूर्ण सामंजस्य में थे। इस देश का नेता उन्हीं जैसा तपोमय महात्मा ही हो सकता था।"
-'आत्मजयी महावीर’ शीर्षक निबन्ध में
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