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तीर्थंकर भगवान महावीर का संक्षिप्त परिचय

*तीर्थंकर भगवान महावीर का संक्षिप्त परिचय*
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*जन्म -*
*चतुर्थ काल का 75 वर्ष 3 माह शेष बचे थे तब वैशाली गणराज्य के वासो कुण्ड ग्राम में राजा सिद्धार्थ के नंद्यावर्त राजमहल में रानी त्रिशला देवी के उदर से ई.पू.598 में चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को सोमवार के दिन हुआ। सभी देवताओं के साथ मनुष्यों ने उनका जन्मकल्याणक महोत्सव भक्ति भाव से मनाया।*
*माता-*
प्रियकारिणी त्रिशला 
*पिता-*
 राजा सिद्धार्थ 
*दादा -*
 राजा सर्वार्थ 
*दादी -*
रानी श्रीमती 
*नाना*
-राजा चेटक 
*नानी*- रानी सुभद्रा 
कुल - क्षत्रिय/ज्ञातृ/ नाथ वंश
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*मौसी -6*
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सुप्रभा, प्रभावती,प्रियावती,सुज्येष्ठा,चेलना और चंदनवाला.
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*मामा -10*
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धनदत्त, उपेन्द्र,सिंहभद्र,अकंपन,धनभद्र,सुदत्त,सुकुम्भोज,पतंगक, प्रभंजन और प्रभास 
*नाम -*
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 5 प्रसिद्ध 
*वर्धमान,वीर, अतिवीर, सन्मति और महावीर।*
*मूल नाम वर्धमान शेष चार नाम घटनाओं के आधार पर रखे गए.*
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*विवाह -*
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*यशोधरा सुकन्या से विवाह का प्रस्ताव आया था पर उन्होंने विवाह संस्कार से मना कर दिया। वह अंतिम पांचवें बाल ब्रह्मचारी तीर्थंकर थे।*
*यशोधरा ने भी राजुल की भांति आत्मसाधना में जीवन बिताया।*
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*तीर्थंकर प्रकृति बंध*
🔸
*नंदराजा के भव में मुनिव्रत अवस्था में प्रौष्ठिल श्रुतकेवली के पादमूल में तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया।*
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*सम्यग्दर्शन*
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*शेर की पर्याय में अमितकीर्ति और अमितप्रभ  इन दो चारण मुनियों के संबोधन से सम्यग्दर्शन प्राप्त किया।*
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*आयु -*
🔸
*71 वर्ष,छह माह और 17 दिन आयु थी।*
*30 वर्ष घर में रहे,12 वर्ष तपस्या की, वर्ष  42 में केवलज्ञानी होकर जगत  को अहिंसा, अनेकांत और अपरिग्रह का संदेश दिया।*
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*गणधर*
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*11 थे, गौतम स्वामी प्रथम गणधर थे। सभी गणधर नियम से उसी भव में मोक्षगामी होते हैं।*
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*निर्वाण*
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*कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी के व्यतीत होने पर अमावस्या के ऊषाकाल में पावापुर विहार में निर्वाण की प्राप्ति हुई ।*
*भगवान पार्श्वनाथ के निर्वाण के 178 वर्ष बाद बालक वर्धमान का जन्म भारतभूमि पर हुआ।*
विशेष घटनाएं -
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*1️⃣त्रिपृष्ठ नारायण की पर्याय में कोटि शिला उठा कर महान पराक्रम किया।कोटिशिला पर करोड़ों मुनियों ने मोक्ष प्राप्त किया है।*
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*2️⃣प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ का पौत्र होकर भी स्वयं भी अंतिम तीर्थंकर हुआ।*
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*3️⃣प्रथम चक्रवर्ती का पुत्र होकर भी फिर स्वयं विदेह क्षेत्र में प्रिय मित्र चक्रवर्ती हुआ।*
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*4️⃣सिंह होकर मांसभक्षण भी किया और तीर्थंकर होकर परम अहिंसा का उपदेश भी दिया।*
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*5️⃣मुनि बनकर स्वर्ग भी गया और नारायण होकर नरक भी गया।*
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*वर्तमान जिनशासन नायक वर्धमान महावीर को शत् शत् नमन!*
🙏
*डॉ अशोक जैन गोयल दिल्ली*

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